डॉग बाइट पर क्या कहना है डॉक्टर और विशेषज्ञों का।
सर्वाइवइल के संघर्ष से चिड़चिड़ापन बढ़ गया है।
वाहन, हॉर्न, ट्रैफिक का शोर डिस्टर्ब कर रहा है।
60 हजार करीब कुत्ते नसबंदी से अभी भी वंचित हैं।
इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में डॉग बाइट यानी कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं। हाल ही में एक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को दिल दहला देने वाली घटना हुई। एक 7 महीने के नन्हें बच्चे को कुत्ते घसीटकर ले गए। उसे कई जगह से नोच डाला और बच्चे का एक हाथ खा गए। बाद में बच्चे का शव खून से लथपथ मिला। बच्चे के सिर और पेट समेत पूरे शरीर पर काटने के निशान मिले।
दरअसल, कुत्तों के काटने की घटनाओं के पीछे बहुत हद तक कुत्तों की संख्या का बढ़ना है और इसके साथ ही इंसान भी अपने सबसे अच्छे और वफादार दोस्त के प्रति अपनी भूमिका ठीक से निभा नहीं रहे हैं।
क्या है पूरा मामला : भोपाल के अयोध्या नगर के शिवनगर बस्ती के महेंद्र वाल्मीकि मजदूरी करते हैं। बुधवार दोपहर छत्री पार्क के पास वाल्मीकि दंपती काम कर रहा था। बड़ी बेटी और 7-8 माह का बच्चा पार्क में था। मां ने दूध पिलाने के बाद बच्चे को सुला दिया। बड़ी बेटी खेलते हुए दूर चली गई। लौटी तो बच्चा गायब था। माता-पिता को बेटी ने बताया तो सभी तलाशने लगे। इसी बीच कुछ लोगों ने कुत्तों को बच्चे का शव नोंचते देखा। माता-पिता शव घर ले गए और दफना दिया। घटना के बाद उसी इलाके से 8 स्ट्रीट डॉग को पकड़ा गया है। सोशल मीडिया पर घटना वायरल होने के बाद शुक्रवार को पुलिस ने मर्ग कायम किया। कलेक्टर ने पूरे शहर से आवारा कुत्तों को पकड़ने के निर्देश दिए हैं।
क्या कहा कलेक्टर ने : घटना के बाद भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने नगर निगम को शनिवार कुत्तों को पकड़ने के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसकी रिपोर्ट भी मांगी है। पीड़ित परिवार को 50 हजार की मदद दी गई है।
क्यों बढ़ रही कुत्तों की संख्या : देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में कुत्तों का आतंक है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार दिसंबर के 18 दिनों में 2519 मामले सामने आए और यह सिर्फ एक अस्पताल का आंकड़ा मात्र है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वो आवारा कुत्तों से परेशान हैं। लगातार कुत्तों की आबादी बढ़ती ही जा रही है। दरअसल, कुत्तों की नसबंदी ठीक से नहीं हो पा रही है।
3500 केस कुत्तों के काटने के हर महीने : शासकीय हुकमचंद पालीक्लिनिक (लाल अस्पताल) के प्रभारी डा. आशुतोष शर्मा ने बताया कि हर महीने औसतन 3500 केस कुत्तों के काटने के आ रहे हैं। यह संख्या हर महीने कुछ ही ऊपर-नीचे होती है। डाग बाइट की यह संख्या केवल लाल अस्पताल में आने वाले पीड़ितों की है। इसके अलावा शहर के अन्य अस्पतालों में भी सैकड़ों पीड़ित पहुंचते हैं।
3500 केस हर महीने केवल लाल अस्पताल में पहुंच रहे।
1 लाख 80 हजार कुत्तों की अब तक हुई नसबंदी।
60 हजार करीब कुत्ते नसबंदी से अभी भी वंचित हैं।
हम कुत्तों के दोस्त नहीं रहे : दरअसल, कुत्तों के काटने के मामले में इजाफे की एक वजह यह सामने आ रही है कि इंसान कुत्तों के अच्छे दोस्त नहीं रहे। वेबदुनिया ने जब इस पूरे विषय पर कुछ विशेषज्ञों से चर्चा की तो सामने आया कि खाना देने की बात हो या उन्हें ठंड, बारीश और गर्मी में शेल्टर देने की बात हो, लोग अब ऐसा नहीं कर रहे हैं। वहीं सफाई की वजह से उन्हें खाना नहीं मिल पा रही है। दूसरी तरफ शहर में शोर बढ़ा है, हॉर्न की आवाजें, ट्रैफिक का शोर और उस पर लोगों द्वारा उनके साथ मारपीट करना। इन वजह से वे चिड़चिड़े हो रहे हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉ प्रशांत तिवारी ने वेबदुनिया को बताया कि कुत्ते बेहद समझदार जीव हैं। कभी आगे से हिंसक होकर नहीं काटते हैं। यह सब निर्भर करता है कि हम उन्हें कैसे ट्रीट कर रहे हैं। डॉ तिवारी ने बताया कि यह बात सही है कि इन दिनों कुत्तों की संख्या बढ़ गई है। लेकिन जहां तक काटने की बात है तो यह कुत्तों में चिड़चिड़ेपन की वजह से हो रहा है। अब सवाल उठता है कि कुत्ते क्यों हिंसक और चिड़चिड़े हो रहे हैं। डॉ तिवारी ने बताया कि इन वजह से कुत्ते हिंसक हो सकते हैं।
सर्वाइवइल के संघर्ष से चिड़चिड़ापन बढ़ गया है।
वाहन, हॉर्न, ट्रैफिक का शोर डिस्टर्ब कर रहा है।
संख्या ज्यादा होने से सभी को खाना नहीं मिल पा रहा।
असामाजिक तत्व कुत्तों को वेबजह परेशान करते हैं।
अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर कुत्तों में असुरक्षा है।
लोग कुत्तों और उनके बच्चों के साथ मारपीट करते हैं।
इंदौर भोपाल में ठीक से नसबंदी नहीं हो पा रही है।
क्यों हिंसक हो रहे कुत्ते?
पीपल फॉर एनिमल संस्था के तहत कुत्तों के लिए शेल्टर होम संचालित करने वाली प्रियांशु जैन ने वेबदुनिया को बताया कि कुत्तों के हिंसक होने के पीछे वजह है कि सफाई की वजह से उन्हें खाना नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही कुत्ते अपने छोटे बच्चों के को लेकर भी असुरक्षित हैं। लोग कुत्तों और छोटे बच्चों के साथ भी मारपीट करते हैं। इस वजह से उनमें असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। दूसरा इंदौर और भोपाल में ठीक से कुत्तों की नसबंदी नहीं हो रही है, जिससे इनकी तादात लगातार बढ़ रही है।