जनरल विजय कुमार सिंह भारतीय सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी हैं जो कि भारतीय सेना के 26वें चीफ ऑफ स्टाफ रहे हैं। वे ऐसे पहले ट्रेंड कमांडो रहे हैं जिन्हें जनरल के पद पर प्रोन्नत किया गया था और इसके साथ ही वे पहले ऐसे सेना प्रमुख भी रहे हैं जिन्होंने जन्म तिथि पर विवाद के चलते सरकार को कोर्ट में घसीट लिया था।
शिक्षा-दीक्षा : विजय कुमार सिंह का जन्म 10 मई 1951 (जिसे सरकार ने माना है) हरियाणा के भिवानी जिले के बापोरा गांव में हुआ था। वे अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी रहे हैं। उनके पिता सेना में एक कर्नल और दादा जूनियर कमीशंड ऑफीसर (जेसीओ) थे। सिंह की प्रारंभिक शिक्षा पिलानी, राजस्थान के बिड़ला पब्लिक स्कूल में हुई।
सिंह को राजपूत रेजीमेंट (काली चिंदी) की दूसरी बटालियन में 17 जून, 1970 को कमीशन दिया गया था। जब यह कमांड पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा पर तैनात थी तब उन्होंने इसी यूनिट को अपनी कमांड में रखा था।
मिलिटरी करियर : उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से आनर्स ग्रेजुएट, द यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी इंफेंट्री स्कूल, फोर्ट बेंनिंग से किया। उनका यह रेंजर्स स्नातक कोर्स था। इसके अलावा उन्होंने कार्लीस्ल, पेंसिलवैनिया के आर्मी वार कॉलेज से भी पढ़ाई की। रैंजर्स कोर्स के दौरान वे कॉम्बैट ऑपरेशन्स में प्रथम आए थे।
सिंह को काउंटर इंसरजेंसी ऑपरेशन्स और हाई एल्टीट्यूड ऑपरेशन्स का बहुत अनुभव था। बांग्लादेश युद्ध के दौरान उन्होंने कार्रवाई में भाग लिया था। काउंटर इंसरजेंसी फोर्स को कमांड करने के दौरान सेवा के लिए उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) दिया गया था।
जनरल सिंह को 31 मार्च, 2010 को सेना प्रमुख बनाया गया था और सेना प्रमुख बनने वाले वे पहले कमांडो थे। उनके करियर के अंतिम समय में उनकी जन्म तिथि को लेकर विवाद हुआ था और इसके कारण वे सेना के पहले ऐसे सेवारत अधिकारी बने जिन्होंने सरकार को कोर्ट में घसीट लिया था।
नेशनल डिफेंस अकादमी में 1965 में प्रवेश के दौरान संभवत: उनकी गलत जन्म तिथि दर्ज हो गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 'हस्तक्षेप से इंकार' कर दिया जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।
कोर्ट का कहना था कि उनकी वास्तविक जन्म तिथि को लेकर कोई विवाद नहीं है वास्तव में यह विवाद जन्म तिथि को दर्ज किए जाने को लेकर है। कोर्ट का कहना था कि सिंह ने अपनी गलत रिकॉर्ड की गई जन्म तिथि को प्रमोशन के दौरान तीन बार स्वीकार किया था और उन्हें इस मामले को बहुत पहले उठानाचाहिए था।
जनरल सिंह को उनके सेवा काल के दौरान सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल दिया गया। उन्हें अमेरिकी युद्ध कौशल कॉलेज में भी पढ़ने का अवसर मिला।
सिंह 31 मई, 2012 को सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए और सेना प्रमुख के तौर पर उनका कार्यकाल करीब 26 महीनों का रहा। उनके बाद जनरल बिक्रम सिंह को नया सेना प्रमुख बनाया गया है। अपने रिटायरमेंट के बाद सिंह ने अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अपना समर्थन दिया है और संभव है कि वे इसमें सक्रिय भूमिका भी निभाएं।