नई दिल्ली। प्रदर्शन स्थलों पर कोरोनावायरस महामारी के साए के मद्देनजर सोनीपत जिला प्रशासन केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में डेरा डाले किसानों को जांच सुविधा की पेशकश कर रहा है लेकिन उनमें से ज्यादातर जांच कराने को अनिच्छुक हैं क्योंकि उन्हें डर है कि संक्रमित पाए जाने पर उन्हें क्वारंटाइन कर दिया जाएगा और इससे उनका आंदोलन कमजोर पड़ेगा।
किसान नेताओं ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की जिंदगी पर कोविड-19 से कहीं अधिक खतरा नए कृषि कानूनों से है। हजारों किसान तीन नए कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए पिछले दो सप्ताह से
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। सिंघू बार्डर प्रदर्शन स्थल पर मेडिकल सुविधाओं की प्रभारी वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (सोनीपत) अंविता कौशिक ने कहा कि उनकी टीम की यथासंभव कोशिश के बावजूद किसान कोविड-19 की जांच कराने के लिए अनिच्छुक हैं।
कौशिक ने कहा कि हमारे जिला चिकित्सा वाहन एवं टीमें सिंघू बॉर्डर पर तैनात की गई हैं। वे खांसी, ज्वर और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए हमसे दवाइयां तो ले रहे हैं, लेकिन कोविड-19 जांच कराने को अनिच्छुक हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन प्रदर्शनकारियों के बीच मास्क का वितरण कर रहा है ताकि वे अपने आप को
कोरोना वायरस से बचा पाएं। हालांकि भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि किसान कोविड-19 की जांच कराके 'समस्या खड़ी करना' नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि किसान कोरोनावायरस की जांच कराने के लिए बल्कि नए कृषि कानूनों का विरोध
करने दिल्ली आए हैं।
सिंह से जब पूछा गया कि क्यों ज्यादातर किसान कोविड-19 जांच कराने से अनिच्छुक हैं तो उन्होंने कहा कि यदि कुछ किसान संक्रमित पाए गए तो सरकार के पास उन्हें क्वारंटाइन करने की वजह होगी और उससे नए कृषि कानूनों के खिलाफ हमारा आंदोलन कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि हम पिछले पांच महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और कोरोना वायरस हमें अपनी आवाज उठाने से नहीं रोक सकता। सिंघू बार्डर पर सुरक्षा इंतजामों की निगरानी में जुटे दिल्ली पुलिस के डीसीपी रैंक के दो अधिकारी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं और उन्हें अलग रखा गया है। (भाषा)