नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है। दूसरी ओर, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि देश में ज्यादातर किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों के पक्ष में हैं।
गौरतलब है कि किसान यूनियनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है और उन्होंने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल की।
तोमर ने कहा कि बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार है। किसान नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों की 40 यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत की अगुवाई तोमर कर रहे हैं। इसमें उनके साथ केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं। केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई पांच दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं।
सरकार ने किसान संघों को एक मसौदा प्रस्ताव उनके विचारार्थ भेजा है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को जारी रखने का लिखित आश्वासन भी है, लेकिन किसान यूनियनों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और कानूनों को निरस्त करने की मांग की है। तोमर ने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की और गतिरोध समाप्त करने के तरीके पर चर्चा की।
बाद में उन्होंने ऑल इंडिया किसान समन्वय समिति (AIKCC) नीत किसानों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की जिसने किसान कानूनों को समर्थन दिया है। पिछले दो सप्ताह में कानूनों को समर्थन देने वाला यह चौथा समूह है।
MSP को कानून के दायरे में लाने की जरूरत नहीं : केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने सोमवार को कहा कि देश में ज्यादातर किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा की जा रही मांग के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानून के दायरे में लाने की आवश्यकता नहीं है।
रूपाला ने गुजरात भाजपा मुख्यालय में कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकारी व्यवस्था का हिस्सा है। यह (कृषि उपज की कीमतों में गिरावट से किसानों को बचाने के लिए) व्यवस्था भविष्य में भी लागू रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं, जिन्होंने पहली बार डॉ. स्वामीनाथन की सिफारिश के मुताबिक कृषि लागत और उसके ऊपर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एमएसपी मूल्य निर्धारण के फार्मूले को लागू करने का फैसला किया।
विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों की मांग पर टिप्पणी करते हुए रूपाला ने कहा कि एमएसपी को केंद्र और राज्य, दोनों द्वारा लागू किया जा रहा है। एमएसपी को कानून के दायरे में लाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस से पूछा कि जब वर्ष 2014 से पहले पार्टी सत्ता में थी तो उसने एमएसपी के लिए कानून क्यों नहीं बनाया।