किसान संगठनों ने कृषिमंत्री को सौंपा ज्ञापन, कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने की मांग की

सोमवार, 7 दिसंबर 2020 (22:23 IST)
नई दिल्ली। कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे किसानों के एक समूह से सोमवार को कहा कि नए विधानों से कृषकों और खेती-बाड़ी को लाभ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसे आंदोलनों से निपटेगी।
 
पद्मश्री से सम्मानित कंवल सिंह चव्हान की अगुवाई में 20 'प्रगतिशील किसानों' के प्रतिनिधिमंडल ने कृषिमंत्री के साथ बैठक में कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों को संशोधित करे लेकिन उसे (कानूनों को) निरस्त नहीं करना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने कहा कि वे कृषक हैं और किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि हैं। प्रतिनिधिमंडल में भारतीय किसान यूनियन (अतर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतरसिंह संधू भी शामिल थे।
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संधू ने कहा कि हम नए कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं। यदि हमें एमएसपी के बारे में लिखित में दे दिया जाता है तो सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। समूह ने यह भी कहा कि विरोध कर रहे किसानों को राजनीतिक लाभ के लिए भ्रमित किया गया है। किसान प्रतिनिधिमंडल के साथ यह बैठक 'भारत बंद' से 1 दिन पहले हुई। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने मंगलवार को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। हालांकि, प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच अगली बैठक 9 दिसंबर को प्रस्तावित है।
 
प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि ऐसे चलेगा आंदोलन वगैरह। इससे तो निपटेंगे। आप लोग इन कानूनों का समर्थन करने के लिए पहुंचे हैं, आपका हृदय से स्वागत और धन्यवाद करता हूं। उन्होंने कहा कि इस कानून से किसान और पूरे कृषि क्षेत्र को लाभ होगा। कृषि क्षेत्र में सुधारों से गांवों में रोजगार पैदा होंगे और कृषि लाभकारी बनेगी।
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20 किसानों के समूह ने अपने ज्ञापन में सरकार से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के सुझावों के अनुसार संशोधन पर विचार करने की मांग की, हालांकि उन्होंने कानूनों को निरस्त नहीं करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों के सुझावों पर विचार किए जाएं और कृषि कानूनों को बनाए रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी व्यवस्था बनी रहे। हम आपसे कृषि कानूनों को बनाए रखने का आग्रह करते हैं।
 
सरकार और कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों के बीच 5 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। विरोध कर रहे किसान इन कानूनों को निरस्त ही किए जाने की मांग पर अड़े हैं। सरकार का कहना है कि ये तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। इनसे किसानों को अपनी उपज देश में कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता मिलेगी और बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी।  (भाषा)

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