फीफा विश्व कप : फुटबॉल के जुनूनी देश मिस्र को इस साल इतिहास रचने का मौका मिला है। 28 साल बाद वह फीफा विश्व कप में उतर रहा है, जिसकी शुरुआत 14 जून से रूस में हो रही है।
सात बार अफ्रीकन नेशंस कप का खिताब जीतने वाला मिस्र इससे पहले सिर्फ 1934 और 1990 में ही विश्व कप में खेला था, अब उसने 28 साल बाद एक बार फिर फुटबॉल के महाकुंभ में कदम रखा है। पिछले दोनों विश्व कप में मिस्र ने एक भी मैच नहीं जीता था। इस बार मिस्र जीत के इरादे से इस विश्व कप में उतरेगा।
मैनेजर हेक्टर कपर के मार्गदर्शन में यह टीम घाना की असफलता के कारण विश्व कप में क्वालीफाई करने में सफल रही। टीम के स्टार मोहम्मद सलाह ने निर्णायक मैच में कोंगो-ब्राजाविले के खिलाफ 94वें मिनट में गोल कर मिस्र के विश्व कप में खेलने के सपने को सच किया था।
विश्व कप का टिकट दिलाने वाले सलाह पर ही मिस्र का दारोमदार है। अपने देश में लियोनेल मेसी की ख्याति पा चुके सलाह टीम की जान कहे जाते है। लेकिन हाल ही में यूईएफए चैम्पियंस लीग फाइनल में लगी चोट ने मिस्र और सलाह के प्रशंसकों की परेशानी में डाल दिया है। इंग्लिश क्लब लिवरपूल के लिए खेलने वाले सलाह को फाइनल में रियल मेड्रिड के खिलाफ मैच के 25वें मिनट में कंधे में चोट लग गई थी और इसी कारण वह मैदान से बाहर चले गए थे।
सलाह का कहना है कि वे विश्व कप तक फिट हो जाएंगे। ऐसे माना जा रहा है कि सलाह 15 जून को उरुग्वे के खिलाफ विश्व कप का पहला मैच न खेले तो ज्यादा सही होगा। इसके बाद वे मैदान पर उतर सकते हैं, सलाह टीम की ताकत हैं। उनके रहते बाकी टीमों पर दवाब रहता है, सलाह का रहना टीम को अगले दौर में जाने का दावेदार बनाता है तो उनके न रहने से टीम का सफर पहले दौर में खत्म हुआ सा लगता है।
इस टीम की परेशानी और कमजोरी यह है कि सलाह के बाद मिस्र के पास कोई और ऐसा खिलाड़ी नहीं है जो टीम की जिम्मेदारी ले सके और टीम को आगे ले जाने का दम रखता हो।