सोने से बनी फीफा विश्व कप ट्रॉफी को अपने हाथों में लेकर चूमने का सपना वो सभी श्रेष्ठ 32 टीमें देखती हैं, जो कड़ी मेहनत के बूते पर विश्व कप में खेलने का हक प्राप्त करती हैं। रूस में 14 जून से खेले जाने वाले विश्व कप के विजेता का फैसला बेशक 15 जुलाई को फाइनल के बाद होगा, लेकिन उससे पहले यह जानना दिलचस्प है कि आखिरकार इस ट्रॉफी में कितना सोना लगा है? इसे जानकर आप हैरान हुए बगैर नहीं रहेंगे...!
48 साल पहले 1970 तक विश्व कप फुटबॉल का खिताब जीतने वाली टीम को 'जूल्स रिमे' ट्रॉफी दी जाती थी लेकिन 70 में ब्राजील की 3 खिताबी जीत (1958, 1962, 1970) के साथ ही ये ट्रॉफी हमेशा हमेशा के लिए उसे सौंप दी गई।
1974 में विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था 'फीफा' ने अपने ही नाम से नई ट्रॉफी का निर्माण कराया। ये नई ट्रॉफी 36 सेंटीमीटर ऊंची है जिसे 6 किलो 175 ग्राम वजन के ठोस 18 कैरेट के सोने से बनाया गया है। इस ट्रॉफी का आधार सोने से थोड़ी कम कीमत के मैलेकिट (तांबे का ही एक उत्पाद है, जो पिघलाने पर हरे मिनरल का रूप ले लेता है। ये सजावट के काम आता है) का बना हुआ है।
जब भी आप ध्यान से 'फीफा ट्रॉफी' को देखेंगे तो उसके नीचे हरे रंग के पट्टे नजर आएंगे। सूर्य की रोशनी में इनकी चमक इतनी तेज होती है कि वह आंखों को अंधा तक कर सकती है। रसायनशास्त्र की भाषा में इसे कॉपर कार्बोनेट का बेसिक cuco_3-cu (oh)2 कहा जाता है। दुनियाभर में जितने भी आभूषण बनते हैं, उनकी पच्चीकारी में मैलेकिट का ही इस्तेमाल होता है। 'सोने पे सुहागा' वाली कहावत भी इसी से शुरू हुई है।