प्रश्न : दद्दूजी, आज के एक अखबार की खबर है कि अतिक्रमण मुहिम में संकरी गली के पुराने ओटले तोड़े जाने पर नीचे से नाली निकली। भला ये भी कोई खबर है? सब जानते हैं कि पुराने घरों के ओटलों के नीचे नालियां होती आई हैं।
उत्तर : आपकी बात सही है, पर अखबार वालों के पास इतना समय कहां होता है कि पुराने मकानों के ओटलों के नीचे झांककर देखें कि वहां वर्षों से चोक पड़ी हुई नालियां हैं। उन्हें तो वे तभी दिखीं, जब उनका खबरची और कैमरा अतिक्रमण मुहिम की चटपटी खबर जनता तक पहुंचाने के लिए गलियों की खाक छानने पहुंचा। भूमिगत नालियों वाले महानगर के खबरची के लिए खुली नाली एक अजूबा ही तो है।