उत्तर: देखिए, दद्दू के सामने भी यही प्रश्न था कि इस बार अपने दोस्तों और वेबदुनिया के स्नेहिल पाठकों को क्या शुभकामना संदेश दिया जाए। अत: दद्दू ने वेबदुनिया की ‘रामशलाका’ का उपयोग किया। रामशलाका में हमें जिस प्रश्न का उत्तर चाहिए उसे मन में धारण करके दिए गए बॉक्स में किसी एक जगह क्लिक करना होता है और रामचरित मानस की किसी एक चौपाई के माध्यम से रामशलाका उस प्रश्न का सटीक उत्तर दे देती है। तो जनाब मैंने मन में प्रश्न किया कि ‘सबको नववर्ष की क्या शुभकामना दूं’ और बाक्स में एक जगह क्लिक करने पर निम्न उत्तर पाया।
मित्रों उत्तर बिलकुल स्पष्ट है कि हमारी और आपकी शुभकामना से क्या होना जाना है। होना वही है जो राम ने सबके लिये रच रखा है। इस उत्तर के बाद दद्दू भी सोच में पड़ गए। क्या यह सच नहीं है कि हम लोग थोक में नव वर्ष की शुभकामनाएं बांटते है किंतु उसके बाद हममें से अधिकतर लोगों के कर्म परहित के बजाए स्वहित के अधिक होते हैं। क्या बेहतर नहीं है कि हम किसी को मौखिक शुभकामनाएं देने की औपचारिकता से बच कर यह सोचें कि हम उसकी भलाई, शुभ-लाभ, उन्नति आदि के लिए क्या सहयोग या मदद कर सकते हैं।
मित्रों नववर्ष हम सभी के लिए तब शुभ होगा जब हम सब मिल कर अपने बजाए दूसरों के लिए जिएंगे, देश के लिए जिएंगे। निश्चित रूप से राम का राज्य ‘राम राज्य’ तब बना होगा जब लोग एक दूसरे को शाब्दिक शुभकामनाएं ना देकर वास्तव में एक दूसरे का कुछ भला करते होंगे। नववर्ष में भी इस कॉलम में अपने उत्तरों के माध्यम से दद्दू ना केवल आपके मुखमण्डल पर मुस्कान लाते रहेंगे बल्कि सामाजिक संदेश भी देते रहेंगे। जिस किसी भी धर्म को आप मानने वाले हैं तथा जो भी आपके इष्टदेव हैं वे अपनी इच्छा, विधान एवं आपके सत्कर्मों के अनुसार आपका मंगल करें।