उत्तर : अंदर की बात यह है कि समाज में यत्र-तत्र फैले रावणों का कद दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ता ही जा रहा है। अब लंकापति का कद उनसे छोटा हो तो अच्छा नहीं लगेगा। अत: उसे हर साल मजबूरी में बढ़ाना पड़ता है। चूंकि जिंदा रावणों का कद स्थान या शहर विशेष के अनुसार अलग-अलग होता है अत: लंकापति का कद भी उसी अनुसार तय किया जाता है। शायद इसीलिए रावण की ऊंचाई के मामले में दिल्ली सबसे आगे रहती है।