गणेशजी एक बार स्त्री बने थे, गणेश का स्त्री रूप प्रकट हुआ था या कि विनायकी नाम की कोई और देवी महिला गणेशजी जैसी दिखाई देती थी। आखिर क्या है रहस्य गणेश के स्त्री स्वरूप का? आओ जानते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार अंधक नाम का असुर या दानव माता पार्वती पर मोहित होकर उन्हें जबरन पकड़ने लगा तो माता ने शिवजी का आह्वान किया। शिवजी से अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया परंतु उसकी मायावी ताकत के कारण जब उसका खून भूमि पर गिरा तो खून की हर बूंद से राक्षसी ‘अंधका’ पैदा हो गई। मतबलब यह कि यह भी रक्तबीज की तरह का दानव था, परंतु इसकी बूंद जब धरती पर गिरती थी तो यह राक्षसी अंधका बन जाती थी।
ऐसे में शिवजी के समक्ष समस्या खड़ी हो गई की अब क्या करें। अब बस एक ही तरीका था की खून की बूंद धरती पर नहीं गिरे तभी यह मारी जा सकती है। ऐसे में माता पार्वती की बुद्धि जागृत हुई क्योंकि माता पार्वती को यह मता था कि प्रत्येक स्त्री के भीतर पुरुष और प्रत्येक पुरुष के भीतर स्त्री विद्यामान रहती है तो उन्होंने सभी देवताओं का आह्वान किया जिसके चलते सभी देवताओं ने अपने अपने स्त्री स्वरूप को धरती पर भेजा ताकी भूमि पर गिरने वाली हर बूंद को वे पी सकें। इंद्र ने इंद्राणी, ब्राह्मा ने ब्रह्माणी, विष्णु ने वैष्णवी शक्ति को धरती पर भेजा। इसी तरह सभी देवताओं ने भी अपनी-अपनी शक्ति को भेजा। इसी तरह गणेशजी जिनका नाम विनायक था उन्होंने विनायकी को भेजा। इस तरह उस दानव का अंत हुआ। यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने सभी देवियों का आह्वान किया था।
परंतु यह भी कहा जाता है कि यह विनायकी नाम की देवी संभवत: माता पार्वती की सहेली मालिनी भी हो सकती हैं जिनका मुख भी गज के समान था। पुराणों में मालिनी का उल्लेख गणेश की देखभाल करने वाली आया के रूप में भी मिलता है।
संदर्भ : दुर्गा उपनिषद, मत्स्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण।