गंगा दशहरे के दिन करें 10 प्रकार के स्नान, इन्हें कहते हैं दशविध स्नान

प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को "गंगा दशहरा" का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रानुसार इस दिन मां गंगा का स्वर्ग से धरती पर आगमन हुआ था। गंगा-दशहरे के दिन जो व्यक्ति मां गंगा की आराधना करता है, उनकी धूप; दीप; नैवेद्य आदि से षोडशोपचार पूजन कर उपवास करता है, वह कायिक-वाचिक-मानसिक त्रिविध पापों से मुक्त हो जाता है। "गंगा-दशहरे" के दिन ‘दशविध-स्नान’ का बहुत महत्त्व होता है। इस दिन ‘दशविध-स्नान’ करने वाले साधक को अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। दशविध-स्नान से आशय शास्त्र द्वारा वर्णित दस प्रकार के स्नान से है। आइए जानते हैं वे दस प्रकार कौन से है जो दशविध स्नान के अन्तर्गत आते हैं-
 
दशविध स्नान-
 
1. गोमूत्र से स्नान
2. गोमय से स्नान
3. गौदुग्ध से स्नान
4. गौदधि से स्नान
5. गौघृत से स्नान
6. कुशोदक से स्नान
7. भस्म से स्नान
8. मृत्तिका (मिट्टी) से स्नान
9. मधु (शहद) से स्नान
10. पवित्र जल से स्नान
 
-उपर्युक्त वर्णित वस्तुओं से अपनी सामर्थ्य के अनुसार लेपन व तिलक कर स्नान करने से "दशविध-स्नान" की पूर्णता होती है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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