प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को "गंगा दशहरा" का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रानुसार इस दिन मां गंगा का स्वर्ग से धरती पर आगमन हुआ था। गंगा-दशहरे के दिन जो व्यक्ति मां गंगा की आराधना करता है, उनकी धूप; दीप; नैवेद्य आदि से षोडशोपचार पूजन कर उपवास करता है, वह कायिक-वाचिक-मानसिक त्रिविध पापों से मुक्त हो जाता है। "गंगा-दशहरे" के दिन दशविध-स्नान का बहुत महत्त्व होता है। इस दिन दशविध-स्नान करने वाले साधक को अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। दशविध-स्नान से आशय शास्त्र द्वारा वर्णित दस प्रकार के स्नान से है। आइए जानते हैं वे दस प्रकार कौन से है जो दशविध स्नान के अन्तर्गत आते हैं-