भारत में कहां की है सबसे प्रसिद्ध गणगौर, कहां लगता है गणगौर मेला, जानिए तिथि, परंपराएं और महत्व

WD Feature Desk

बुधवार, 26 मार्च 2025 (13:58 IST)
gangaur festival is celebrated in which state: गणगौर उत्सव राजस्थान का एक पारंपरिक और भव्य त्योहार है, जिसे विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है और सौभाग्य, सुख-समृद्धि और अखंड सुहाग की कामना के लिए रखा जाता है। गणगौर शब्द 'गण' और 'गौर' से मिलकर बना है, जहां 'गण' का अर्थ शिव और 'गौर' का अर्थ पार्वती होता है। यह त्योहार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाया जाता है।
 
गणगौर कहां की प्रसिद्ध है?
गणगौर त्योहार पूरे भारत में विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन इसकी सबसे अधिक भव्यता राजस्थान में देखने को मिलती है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, कोटा और सिरोही जैसे शहरों में गणगौर का उत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। यहां इस पर्व को पारंपरिक वेशभूषा, लोक गीतों और गणगौर माता की शोभायात्रा के साथ मनाने की परंपरा है।
 
गुलाबी गणगौर कहां की प्रसिद्ध है?
'गुलाबी गणगौर' जयपुर की विशेष पहचान है। गुलाबी नगरी जयपुर में गणगौर का उत्सव अत्यंत भव्य रूप से मनाया जाता है। यहां गणगौर माता की सवारी शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती है, जिसमें पारंपरिक लोक कलाकार, ढोल-नगाड़े और सजे-धजे हाथी-घोड़े शोभायात्रा की भव्यता बढ़ाते हैं। गुलाबी गणगौर का नजारा देखने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। जयपुर के त्रिपोलिया बाजार और तालकटोरा में इस उत्सव का सबसे आकर्षक आयोजन होता है।
 
धींगा गणगौर कहां मनाई जाती है?
'धींगा गणगौर' राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में मनाई जाती है, खासतौर पर जोधपुर, पाली, नागौर और आसपास के इलाकों में। यह एक अनूठी परंपरा है, जिसमें अविवाहित युवतियां गणगौर माता की पूजा करते हुए गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। धींगा गणगौर की खासियत यह है कि इस अवसर पर युवतियां पुरुषों की वेशभूषा धारण करती हैं और हास्य-व्यंग्य भरे गीतों के साथ इस पर्व को खास बनाती हैं।
 
धींगा गणगौर मेला: धींगा गणगौर मेले का आयोजन राजस्थान के कई स्थानों पर किया जाता है, लेकिन जोधपुर का धींगा गणगौर मेला सबसे प्रसिद्ध है। यह मेला गणगौर पूजा के समापन के दिन आयोजित किया जाता है और इसमें पारंपरिक लोक संगीत, नृत्य, और शृंगार प्रतियोगिताएं होती हैं। यह मेला न केवल धार्मिक भावना से जुड़ा होता है, बल्कि इसमें मनोरंजन और सांस्कृतिक विरासत की झलक भी देखने को मिलती है।
 
गणगौर का महत्व और इसकी परंपराएं: गणगौर पूजा में महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं और विशेष गीत गाकर गणगौर माता को प्रसन्न करती हैं। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवंत बनाए रखता है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर और बीकानेर जैसे शहरों में इस दिन बड़े पैमाने पर शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
 
गणगौर महोत्सव की ये रंगीन झलकियां राजस्थान की संस्कृति, परंपरा और भक्ति भावना को दर्शाती हैं। यह त्योहार महिलाओं के सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। 
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