गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक ने कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा की
गुरुवार, 23 नवंबर 2017 (00:13 IST)
अहमदाबाद-नई दिल्ली। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की आज घोषणा की, जिससे इस पार्टी को 22 साल के वनवास के बाद भाजपा से सत्ता हथियाने के सिलसिले में नए जातीय समीकरण बनाने की उसकी कोशिश में बड़ा बल मिला है।
पिछले कुछ हफ्ते से कांग्रेस के साथ चूहे-बिल्ली का खेल खेल रहे 24 वर्षीय हार्दिक पटेल ने घोषणा की कि पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का समर्थन करेगी क्योंकि उसने पटेलों के लिए आरक्षण की उसकी मांग मान ली है।
कम उम्र के चलते चुनाव लड़ने के लिए अपात्र हार्दिक ने कहा कि कांग्रेस ने पास को यह भी आश्वासन दिया है कि वह अपने घोषणापत्र में पाटीदारों के लिए आरक्षण के अपने वादे को शामिल करेगी।
हिंसक आरक्षण आंदोलन की अगुवाई कर चुके युवा नेता ने कहा कि पटेलों के लिए आरक्षण का जो वादा किया गया है वह अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 फीसद आरक्षण सीमा से अलग होगा।
हार्दिक का समर्थन हासिल करने के बाद कांग्रेस राज्य में अब तीन युवा जातीय नेताओं को अपने साथ लाने में कामयाब रही है जिनके गुजरात के राजनीतिक परिदृश्य में उभरने की जड़ें आंदोलनों में रही हैं।
इससे पहले, गुजरात क्षत्रिय-ठाकोर सेना के ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर (39) कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें मद्यनिषिद्ध गुजरात में शराब के खिलाफ उनके अभियान के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि उनका पिछड़े वर्ग के युवकों पर गहरा प्रभाव है।
वकील-सामाजिक कार्यकर्ता जिग्नेश मेवानी ने भी कांग्रेस को समर्थन करने का संकेत किया है। उना में दलितों के साथ मारपीट के बाद कई विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर जिग्नेश चर्चित चेहरा बन गए थे। एक मरी गाय की खाल उतार रहे दलितों के साथ गौहत्या के संदेह में मारपीट की गई थी।
जिग्नेश ने हाल ही में सूरत में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भेंट की थी। वैसे इन दलित नेता ने स्पष्ट रुप से वादा तो नहीं किया कि वह कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करेंगे लेकिन उन्होंने यह कहा कि गुजरात में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
हार्दिक ने अहमदाबाद में कहा कि गुजरात में मेरी लड़ाई भाजपा से है और यही वजह है कि हम प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रुप से कांग्रेस का समर्थन करेंगे क्योंकि उसने आरक्षण की हमारी मांग मान ली है।’ संबंधित प्रस्ताव के तहत भाजपा के पारंपरिक मतदाता रहे प्रभावी पटेलों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिलने का दावा किया गया है जो अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के 49 फीसद आरक्षण से अलग होगा।
उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण की 50 फीसद सीमा तय करने के बारे में हार्दिक ने कहा, ‘यह महज एक सुझाव है। हमारे संविधान में आरक्षण की 50 फीसद सीमा का कोई उल्लेख नहीं है। मेरा दृढ़ मत है कि आरक्षण 50 फीसद से भी ऊपर दिया जा सकता है।’ पटेल नेता ने कहा, ‘हमने कोई सीटें नहीं मांगी हैं लेकिन हमने कांग्रेस से हमारे समुदाय के उन उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने को कहा है जिनका मजबूत चरित्र है।’
इस पूरे घटनाक्रम पर आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘अभी तक जो बयान मैंने देखे हैं, कांग्रेस-हार्दिक क्लब एक दूसरे को छलावा दे रहे हैं। कानून बहुत स्पष्ट है जिसे उच्चतम न्यायालय ने तय किया है। पिछले सप्ताह ही राजस्थान मामले में इस बात की फिर से पुष्टि हुई है कि 50 प्रतिशत की सीमा को नहीं बढ़ाया जा सकता।....लिहाजा उन्हें एक दूसरे को यह कहकर जनता को छलावा देने दीजिए कि वह इस अंतर को भरने के लिए तौर-तरीका तैयार करेंगे।’
कांग्रेस को समर्थन देने की घोषण पर हार्दिक पर पलटवार करते हुए उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि यह मूर्खों द्वारा पेश और मूर्खों द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव है। उन्होंने कहा, ‘यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आरक्षण किसी भी स्थिति 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है। हार्दिक कांग्रेस के फार्मूले से पाटीदार समुदाय को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। मेरे विचार से आरक्षण का यह फार्मूला बहुत बड़ा मजाक है।’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपना समर्थन देने की घोषणा करने के लिए हार्दिक पटेल का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी संयुक्त लड़ाई से भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएगी। कांग्रेस द्वारा पाटीदार नेताओं की आरक्षण की मांग मान लेने के बाद हार्दिक ने इस समर्थन की घोषणा की थी।
कांग्रेस नेता ने गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के साथ आरक्षण के मुद्दे पर तय किए गए फार्मूले पर आज अपने पत्ते नहीं खोले तथा कहा कि इस बारे में जो भी फैसला होगा, वह ‘संविधान के दायरे’ में होगा। संबंधित नियमों को बाद में तय किया जाएगा।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें खुशी है कि साझा मोर्चा अब भाजपा के खिलाफ लड़ेगा...हम उनका आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि वे (पास) हमारे साथ एक विचारधारा के साथ शामिल हुए कि मिलकर चुनाव लड़ा जाए...हमारा लक्ष्य चुनाव जीतना और लोगों से किए गए वादों को पूरा करना है।’ (भाषा)