नई दिल्ली। निरंतर खोते जनाधार को बचाने की जद्दोजहद कर रही कांग्रेस के लिए हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजे संजीवनी लेकर आए हैं, लेकिन गुजरात में उसका सियासी वजूद खतरे में पड़ गया है। यही नहीं, गुजरात के इस चुनाव प्रदर्शन के बाद कांग्रेस का 2024 का सफर और मुश्किलभरा हो गया है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी इस समय अपना पूरा ध्यान 'भारत जोड़ो यात्रा' पर लगाए हुए है और उसे उम्मीद थी कि दोनों राज्यों के चुनावी परिणाम उसके लिए बेहतर होंगे। उसे बुधवार को भी उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब दिल्ली नगर निगम के चुनाव में उसका अब तक का सबसे निराशाजनक प्रदर्शन रहा। उसे 250 सदस्यीय नगर निगम में सिर्फ 9 सीटें मिलीं। आम आदमी पार्टी को 134 और भारतीय जनता पार्टी को 104 सीटें हासिल हुईं।
कांग्रेस के लिहाज से यह अच्छी स्थिति कही जाएगी कि हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में उसे बहुमत मिला है। उसके लिए यह एक संजीवनी होगी, क्योंकि लंबे समय बाद उसे अपनी बदौलत किसी राज्य की सत्ता मिलेगी। फिलहाल उसकी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकारें हैं।
कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश की जीत कांग्रेस के लिए हौसला बढ़ाने वाली होगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल में जीत से कांग्रेस को 2023 और 2024 के लिए उम्मीद मिलेगी। लेकिन बहुत कुछ इस बात निर्भर करता है कि 'भारत जोड़ो यात्रा' के बाद पार्टी में किस तरह से ऊर्जा का संचार होता है।
कांग्रेस के लिए हिमाचल प्रदेश भले ही खुशी लेकर आया, लेकिन गुजरात उसे बड़ा गम दे गया। वह गुजरात में अब तक की सबसे न्यूनतम संख्या तक सिमट गई। यह उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। ऐसी स्थिति में पार्टी गंभीर संकट में घिर गई है, जहां से बाहर निकलना उसके लिए बहुत ही मुश्किल होगा।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी और उसे 182 सदस्यीय विधानसभा में 77 सीटें मिली थीं। इस बार की हार उसके लिए इस संदर्भ में बुरी है कि उसका वोट प्रतिशत 30 प्रतिशत से नीचे आ गया और आम आदमी पार्टी ने तीसरे दल के रूप में दस्तक देकर उसके लिए एक और चुनौती पैदा कर दी है।(भाषा)