खिलाड़ियों के खेल के साथ साथ उनकी फिटनेस के हैं दीवाने। फिल्मस्टारों की फिटनेस भी दिमाग में घूमती रहती है। फिटनेस को लेकर मन बना चुके हैं। ऐसे में दिमाग सोचता है ऐसे तरीकों के बारे में जिनसे ज़बरदस्त फिटनेस पाई जा सके। इन तरीकों से मिलने वाली फिटनेस आपको लुभा रही है लेकिन आप अंजान हैं इनसे जुड़े ऐसे खतरों से जो ज़िंदगी तबाह कर देगी।
आप खुद को लगभग फिटनेस के एक्सपर्ट समझने लगे हैं। इंटरनेट और टीवी से एक्ससाइज़ सीखकर फिट होने का ख्वाब देख चुके हैं। कीटो डाइट से लेकर जिम में जमकर एक्ससाइज सभी कुछ पर हाथ आज़मा चुके हैं तो क्रॉसफिट आपके लिए कोई अंजान शब्द नहीं। अगर आप इस खतरनाक एक्ससाइज तरीके को अपना चुके हैं या इस पर सोच रहे हैं तो आपको सचेत हो जाने की जरूरत है। इसे सही तरीके से न कर पाने का खामियाज़ा ऐसा होगा कि आपके होश उड़ जाएंगे।
क्या है क्रॉसफिट?
क्रॉसफिट एक ब्रांडेड फिटनेस तरीका है जिसकी शुरुआत साल 2000 में युनाइटेड स्टेट्स (अमेरिका) से हुई। शुरुआत से ही इसे एक्ससाइज़ की फिलोसॉफी और जीतने की इच्छा से जोड़ा गया। इस तरीके में थोड़ा गेप देकर बहुत ज़्यादा एक्ससाइज़, पॉवरलिफटिंग, ओलंपिक वेटलिफ्टिंग ( बहुत अधिक वजन उठाना) और जिमनास्टिक किया जाता है। क्रॉसफिट इस तरह की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग है जिसमें इंसान के शरीर के वजन के ही इस्तेमाल से प्रतिरोध पैदा किया जाता है ताकि सभी जगह ताकत आए। इस तरह का फिटनेस प्रोग्राम लोगों को आने वाली शारीरिक समस्याओं के चलते विवादास्पद हो चुका है।
कब हो जाता है क्रॉसफिट बेहद खतरनाक?
एक्सपर्ट के बिना या सही तरीके को समझे बिना हाई इंटेंसिटी वर्कआउट जैसे कॉर्सफिट अपनाना सही नहीं। जिन्हें कॉर्सफिट का स्वभाव नहीं पता इस बात से अंजान हैं कि इसमें की जाने वाली गतिविधियां काफी प्रभावी और मुश्किल हैं। इसमें जमकर और तेज़ी से कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का मिश्रण किया जाता है। आपके शरीर के सभी हिस्से इसमें शामिल होते हैं।
क्रॉसफिट फिज़िकल फिटनेस के लिए बेहतरीन है लेकिन अगर इसे गलत तरीके से किया गया तो ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। अगर इसे अपने एक्ससाइज प्लान का हिस्सा बनाने का मन बना चुके हैं तो अपने डॉक्टर से पहले पूछ लें। इसके अलावा इसे ऐसे ट्रेनर की देखरेख में करें जो इसका जानकार हो और जहां गलती की गुंजाइश ही न रहे।
कैसे हो सकता है क्रॉसफिट से ब्रेन स्ट्रोक ?
इंसानी शरीर में दिमाग, गर्दन से नीचे की ओर फैले नर्व फाइबर के माध्यम से संपर्क बनाता है। मस्तिष्क में खून पहुंचने का रास्ता गर्दन से होता हुआ जाता है। यहां स्थित चार बड़े ट्यूब, जिन्हें कैरोटिड और वर्टेब्रल आर्टेरिज़ कहा जाता है, दो गर्दन पर आगे की तरफ और दो पीछे की तरफ दिमाग को रक्त पहुंचाते हैं। ये ट्यूब चोट और डैमेज झेलने में सक्षम नहीं होते और किसी भी तरह गर्दन पर ताकत लगाकर की गई गतिविधि जैसे गर्दन को ज़ोर से आगे करना या पीछे ले जाने पर क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इस तरह की चोट लगने पर पैरालिटिक अटैक या ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति बन सकती है और आपको आ सकता है ब्रेन स्ट्रोक।