फायब्रॉइड या रसौली ऐसी गांठें होती हैं जो महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास उभरती हैं। ये मांस-पेशियों और फाइब्रस उत्तकों से बनती हैं और इनका आकार कुछ भी हो सकता है। इन्हें यूटरीन मायोमास और फाइब्रोमायोमास के नाम से जाना जाता है। बहुत सी महिलाओं को पता ही नहीं होता है कि उन्हें रसौली है क्योंकि उनमें ऐसे कोई लक्षण ही नहीं होते हैं।
कभी-कभार जांच के दौरान पता चल जाता है कि वे रसौली का शिकार हैं। लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवनकाल में रसौली का शिकार होती हैं। ये अक्सर 30 से 50 वर्ष के बीच की महिलाओं में अधिक देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मोटापा से ग्रस्त महिलाओं में अधिक होता है क्योंकि उनमें एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर अधिक होता है।
लहसन : कच्ची लहसन का सुबह सबेरे खाली पेट सेवन करें। यह फायब्रॉइड को बढ़ने नहीं देगा। लगातार 2 महीने सेवन करें और जांच करवाएं अगर फायदा नहीं हो तो नीचे दिए गए दूसरे उपचार पर जाएं...
केस्टर ऑइल : केस्टर ऑइल को अदरक के रस के साथ दिन में दो बार सुबह और रात में सोते समय प्रयोग करें। इससे भी फायब्रॉइड छोटे होंगे और अधिक नहीं बनेंगे साथ ही मौजूद फायब्रॉइड्स के कैंसर में तब्दील होने की संभावना भी कम होगी।
सेब का सिरका : सुबह और शाम गर्म पानी के साथ सेब का सिरका पिएं। इससे भी फायब्रॉइड्स में होने वाले दर्द में आराम मिलता है साथ ही यह भी फायब्रॉइड को बढ़ने से रोकता है।
हल्दी : हल्दी का प्रयोग जितना अधिक हो सके करें, क्योंकि हल्दी पेट से विषैले तत्वों को बाहर करती है और एंटीबॉयोटिक होने के कारण फायब्रॉइड की ग्रोथ को कैंसर बनने से रोकेगी।
पानी : फायब्रॉइड की मरीज को पानी बहुत अधिक मात्रा में पीना चाहिए। अगर लगातार पानी पीना संभव न हो तो जितना हो सके पेय पदार्थों का सेवन करें ताकि शरीर की भीतर लगातर सफाई होती रहे।