Netflix ने इस गंभीर बीमारी पर बनाई वेब सीरीज, जानें क्या है शेयर्ड सायकोटिक डिसऑर्डर

शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2021 (13:04 IST)
दिल्‍ली में एक ही परिवार के 11 सदस्यों ने 2018 में आत्महत्या कर ली थी। जिसे देखने और सुनने के बाद हर कोई आश्चर्यचकित हो गया था। नेटफ्ल‍िक्‍स ने भी इस केस पर एक वेब सीरीज बनाई है। जो रिलीज हो चुकी है। इस वेब सीरिज का नाम है 'हाउस ऑफ सीक्रेट्स - द बुराड़ी डेथ'। यह वेब सीरीज काफी सुर्खियां बटोर रही है। सामूहिक आत्महत्या की घटना पर आधारित इस मामले में कई एंगल से जांच की गई। जिसमें एक एंगल मानसिक बीमारी का सामने आया। शेयर्ड सायकोटिक डिसऑर्डर कहा गया है। आइए जानते हैं इस मानसिक बीमारी के बारे में, इसके लक्षण और उपचार..

शेयर्स साइकोटिक डिसऑर्डर क्‍या है?

यह एक प्रकार की दुर्लभ प्रकार की मानसिक बीमारी है। बहुत कम लोगों में यह होती है। लेकिन जिस इंसान को यह घेर लेती है उसका असर पूरे परिवार पर होता है। इसे फॉली ऑफ टू और मेडनेस बाय टू के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी मुख्य रूप से परिवार से परिवार में होती है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति ऐसे व्यक्ति की भ्रमित और अविश्‍वसनीय बातों पर विश्वास करने लगता है जो उनके करीबी होते हैं। इस बीमारी को पहचानना आम इंसान के बस की बात नहीं है। शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर भ्रम पर विश्वास करने के लक्षण परिवार के सदस्यों में आ जाते हैं। इस बीमारी में परिवार के इंसान विचार और व्यवहार में ढलने लगते हैं। साथ ही अगर परिवार में कोई व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होते हैं तो उसका असर अन्‍य सदस्‍यों पर पड़ने लगता है।

शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर के लक्षण -

- असामान्य बातों पर विश्वास करना।
- काल्पनिक दुनिया में जीना।
- भूत-प्रेत, मंत्र-तंत्र में विश्वास करना।
- सामान्‍य नजर आना और सामान्‍य व्‍यवहार करना।
- मानसिक शक्ति पर असर पड़ना।
- नींद प्रभावित होना।

शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर का उपचार -

- यह गंभीर मानसिक बीमारी है, मनोचिकित्सक की मदद की जरूरती होती है।
- इस बीमारी से ठीक होने में हफ्तों से अधिक लंबा वक्त लग सकता है। निर्भर करता है बीमारी कितनी गंभीर है।
- एंटीसाइकोटिक दवाएं दी जाती है। जिससे मन के भ्रम की स्थिति को कम करने में मदद मिलती है।
- नींद की समस्या, बेचैनी और चिंता को लेकर दवा दी जाती है।
- जानकारी के अभाव में लोग अंधविश्वास का शिकार हो जाते हैं। इसके लिए अधिक से अधिक जागरूकता की जरूरत है।
- मानसिक रूप से सही महसूस नहीं लगने पर काउंसलर से जरूर मिलना चाहिए।

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