पोस्टपार्टम डिप्रेशन महिलाओं में होने वाला एक तरह का डिप्रेशन है। आइए जानते हैं क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन, क्या लक्षण और कैसे करें इलाज। जब मां अपने बच्चे को जन्म देती है तो सभी उसकी शारीरिक हेल्थ का ख्याल रखने के लिए कहते हैं, लेकिन कोई भी उसकी मानसिक हेल्थ की तरफ ध्यान नहीं देता।
दरअसल, डिलिवरी के बाद महिला के शरीर में हुए बदलाव उसके मन को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। यह इतना ज्यादा हो सकता है कि उसे आत्महत्या तक के ख्याल आने लगते हैं। इसी को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है।
बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में जो अवसाद यानी डिप्रेशन संबंधी समस्या होती है, उसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान किसी महिला के शरीर में जितने बदलाव होते हैं, उतने ही बदलाव बच्चे के जन्म के बाद भी होते हैं। इस कारण हॉर्मोनल स्तर ऊपर नीचे होता है। इस दौरान माताओं को मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं में मूड और व्यवहार में बदलाव हो सकता है। मूड स्विंग्स हो सकता है। मन उदास रहना, किसी से बात करने का मन ना नहीं होना और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। यहां तक कि कुछ महिलाओं का रोने का मन करता है।
किसे हो सकता है?
आपको बता दें कि यह हर महिला को नहीं होता, लेकिन करीब 70 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या का सामना करती हैं। सबसे चिंताजनक बात तो यह है कि यह लक्षण करीब दो महीने तक रह सकते हैं। वक्त के साथ यह ठीक भी हो जाता है। लेकिन कई बार डॉक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है।