24 मार्च: विश्व टीबी दिवस 2025 की क्या है थीम, जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी?

WD Feature Desk

शुक्रवार, 21 मार्च 2025 (18:12 IST)
World TB day 2025 theme in hindi: हर साल 24 मार्च को दुनियाभर में विश्व क्षय रोग दिवस (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है लोगों को क्षय रोग (टीबी) के बारे में जागरूक करना और इसके रोकथाम और इलाज के प्रति लोगों को सजग बनाना। यह दिन उस महान वैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट कोच की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 24 मार्च 1882 को टीबी के बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) की खोज की थी। टीबी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर इलाज और सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी के कारण हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं, खासकर वे लोग जो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से जूझ रहे होते हैं।
 
विश्व क्षय रोग दिवस 2025 की थीम: इस साल विश्व क्षय रोग दिवस 2025 की थीम है - "Yes! We Can End TB"। इसका मतलब है कि अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो टीबी को हराया जा सकता है। इस थीम का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के खिलाफ जागरूक करना और उन्हें इसके उन्मूलन के लिए प्रेरित करना है। टीबी के खिलाफ लड़ाई में सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों की भागीदारी भी जरूरी है। सही जानकारी, समय पर इलाज और लोगों की जागरूकता से ही इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है।
 
क्या है क्षय रोग (टीबी)?
क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो यह बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
 
टीबी को पहचानना आसान नहीं होता क्योंकि इसके लक्षण कई बार सामान्य सर्दी-खांसी जैसे लगते हैं। इसके कारण लोग अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है।
 
टीबी के लक्षण: टीबी के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है लगातार खांसी आना, जो तीन हफ्ते से अधिक समय तक रहती है। खांसी में कभी-कभी खून आना भी हो सकता है। इसके अलावा तेज बुखार, रात में पसीना आना, वजन कम होना, थकान महसूस होना और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
 
कई बार लोग इन लक्षणों को सामान्य थकान या कमजोरी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। टीबी का जल्दी पता चलने पर इसका इलाज सरल और प्रभावी हो सकता है।
 
टीबी का इलाज: टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है, लेकिन इसके लिए नियमित दवा और देखभाल की जरूरत होती है। टीबी के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो लगभग 6 से 9 महीने तक चलती हैं। इस दौरान दवा का नियमित सेवन बेहद जरूरी है, क्योंकि बीच में दवा छोड़ देने से बीमारी और भी गंभीर हो सकती है।
 
भारत सरकार ने टीबी के इलाज के लिए डीओटीएस (DOTS) थेरेपी शुरू की है, जिसमें मरीज को नियमित रूप से दवाएं दी जाती हैं। इस इलाज के तहत मरीज को स्वास्थ्यकर्मी की निगरानी में दवा दी जाती है ताकि दवा का सेवन ठीक से हो सके। टीबी के मरीज को पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, जिसमें प्रोटीन, विटामिन और हरी सब्जियों का समावेश हो। साथ ही, स्वच्छ वातावरण और पर्याप्त आराम भी जरूरी है। 


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