हेल्थ ड्रिंक की कोई परिभाषा तय नहीं:
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) के नियम और रेगुलेशन के द्वारा हेल्थ ड्रिंक की कोई परिभाषा तय नहीं की गई है। आयोग के तहत गठित समिति ने सीपीसीआर अधिनियम 2005 के तहत अपनी जांच की। इसके बाद यह तय किया गया कि FSS अधिनियम 2006 के तहत किसी भी हेल्थ ड्रिंक को डिफाइन नहीं किया गया है।
100 ग्राम बॉर्नविटा में 32.2 ग्राम शक्कर:
2023 में भी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बॉर्नविटा बनाने वाली कंपनी को नोटिस भेजा था। इस प्रोडक्ट में काफी मात्रा में शुगर पाई गई। 100 ग्राम बॉर्नविटा में 37.4 ग्राम शुगर थी। नोटिस भेजने के बाद कंपनी ने इसकी शुगर की मात्रा घटाकर 32.2 ग्राम कर दी। किसी भी हेल्थ ड्रिंक में इतनी ज्यादा शुगर नहीं होती है और न होना चाहिए।
एनर्जी ड्रिंक ग्राहक को गुमराह कर रहीं:
बाजार में कोका कोला, स्ट्रिंग और रेड बुल जैसी कंपनियों के कई एनर्जी ड्रिंक्स उपलब्ध हैं। NCPCR के अनुसार इन प्रोडक्ट के नाम से ग्राहक को गुमराह किया जा रहा है। इन एनर्जी ड्रिंक में भी काफी ज्यादा मात्रा में शुगर होती है जो सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती है। भारत में एनर्जी ड्रिंक और स्पोर्ट्स ड्रिंक का वर्तमान में मार्केट साइज 4.7 बिलियन डॉलर है।
बच्चों को चॉकलेट पाउडर देते समय रखें इन बातों का ध्यान
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चॉकलेट पाउडर या हेल्थ ड्रिंक खरीदते समय इन प्रोडक्ट के डिब्बे या पैकेट के पीछे लिखे इंग्रेडिएंट्स को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
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साथ ही बच्चों को सिमित मात्रा में ही चॉकलेट पाउडर या हेल्थ ड्रिंक देनी चाहिए। इन प्रोडक्ट के ज्यादा सेवन से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ती है।
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चीनी का असर बच्चों की मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इससे मेमोरी पर बुरा असर पड़ सकता है।
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कोशिश करें कि बच्चे को दूध में ड्राई फ्रूट्स डालकर दें और इन पैक्ड प्रोडक्ट के सेवन से बचें।
किसी भी तरह की हेल्थ ड्रिंक या सप्लीमेंट लेने से पहले आपको उसके इंग्रेडिएंट्स पर ध्यान देना चाहिए। विज्ञापन के कारण किसी भी प्रोडक्ट को न खरीदें जब तक आपको उसकी सही जानकारी न हो। ऐसे प्रोडक्ट के सेवन से हेल्थ से खिलवाड़ न करें। बच्चों या खुद के लिए हेल्थ ड्रिंक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।