अमेरिका के नॉर्थ वेस्टर्न विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं सहित अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि वे उम्रदराज लोग जिनके पास जिंदगी जीने का मकसद होता है, उनमें नींद संबंधी विकार (स्लीप एप्निया) से पीड़ित होने की 63 फीसदी कम संभावना होती है। यह एक ऐसा विकार है जिसमें सोने के दौरान सांस लेने में समस्या होती है।