हिन्दी दिवस पर कविता : सरस, सुबोध और रुचिकर भाषा

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डॉ. शोभा प्रजापति
 
हमारी हिन्दी भाषा
सरस सुबोध और रुचिकर भाषा
 हिन्दी हम सब की मातृभाषा
 तुलसी सूर रसखान कबीर की भाषा 
हिन्द के साहित्यकारों की प्रेम भाषा 
गद्य पद्य और सुलेख की भाषा
 हिन्दी अपनी सीधी सादी भाषा
 सात सुरों से गुंथी यह भाषा
 करती सबकी पूर्ण अभिलाषा
 हिन्द के निवासियों का अस्तित्व हिन्दी भाषा
 सुघड़ सुडोल वृहद् शब्द संपदा की भाषा 
हमें हमारी जड़ों से जोड़ती यह भाषा 
सहज स्वभाव भारतीय ज्ञान विज्ञान की भाषा 
हिन्दी हिन्द की संस्कृति और संस्कार की भाषा 
संस्कृत से गहरा रिश्ता निभाती है यह भाषा 
यूं ही हिन्दी केवल हमारा संप्रेषण माध्यम ही नहीं ,
हमारी आन-बान-शान समग्र पहचान है हिन्दी भाषा।

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