वर्मा जी की काम वाली बाई 15 दिन से नहीं आ रही थी.....
हर दिन बर्तन धोने से वर्मा जी बेहाल हो गए थे, आजू बाजू वालों को बोल के रखा था कि कोई बाई हो तो भेजना.... हालत खराब है....
पडोसन के प्रति कृतज्ञता के बोध से वर्मा जी की आंखें भर आई वो यकीन नहीं कर पा रहे थे कि आज के युग में भी ऐसे लोग हैं जो दूसरों की तकलीफ समझते हों खैर,थोड़ी देर बाद तीनों बाहर आए और पडोसन बाई को लेकर अपने घर चली गई.... शायद काम दिखाने आई होगी, शायद मिलवाने लाई होगी, पैसे वैसे का फाइनल करने आई होगी,
"कौन कब से आ रही है और काहे के पैसे मांगेगी?"
"अरे भाई,बाई कब से आएगी काम पर और कितने पैसे में फाइनल किया"