माय मावशी का वार्षि‍क सम्मेलन संपन्न

रविवार 26 फरवरी को देवास में प्रदेश के मराठी भाषी साहित्यकारों का वार्षिक सम्मेलन संपन्न हुआ। माय मावशी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश मराठी साहित्य अकादमी के निदेशक एवं मराठी त्रैमासिक पत्रिका सर्वोत्तम के संपादक अश्विन खरे ने संबोधन के दौरान कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर होने वाले साहित्य सम्मेलनों के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी इस तरह के छोटे छोटे आयोजन होते रहने चाहिए।
 
इस अवसर पर हुई खुली चर्चा में फेसबुक तथा व्हॉट्सएप जैसे आधुनिक माध्यमों पर बोलते हुए अतिथि वक्ताओं ने कहा कि एक ओर तो साहित्य को दुनिया तक पहुंचाया है और कई नवोदित रचनाकारों को एक व्यापक मंच दिया है, लेकिन साथ ही इसके कारण साहित्य की गुणवत्ता पर भी गहरा असर पड़ा है। प्रकाशकों और संपादकों के बिना होने वाले इस साहित्य सृजन ने साहित्य को आम जनता के लिए तो खोल दिया, लेकिन उसी कारण रचनाओं की चोरी जैसी गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है।
 
फेसबुक और व्हॉट्सएप जैसे आधुनिक माध्यमों का साहित्य पर प्रभाव इस परिचर्चा में निशा देशपांडे, वसुधा गाडगील, उदय ढोली, प्रशांत कोठारी, डॉ. अर्चना वैद्य करंदीकर तथा रवीन्द्र भालेराव ने अपने विचार रखे. परिचर्चा का संचालन आभा निवसरकर और वैभव पुरोहित ने किया।


 
वीर सावरकर की 52वीं पुण्यतिथि के इस मौके पर कार्यक्रम में सावरकर की कैद और उनकी रचनाओं से जुड़ा अभिवाचन अनादि मी अनंत मी प्रस्तुत किया गया। इसकी संकल्पना भोपाल से आए वरिष्ठ नाट्यकर्मी एवं कवि  विवेक सावरीकर की थी तथा  डॉ. यादवराव गावले, भोपाल और  सुषमा अवधूत,इंदौर ने इसमें भागीदारी की।
 
रिंगण में सभी भागीदारों ने अपनी अपनी प्रतिनिधि कविता प्रस्तुत की। इसमें रवीन्द्र भालेराव, राहुल जगताप देव, पुरुषोत्तम सप्रे और प्रशांत कोठारी की कविताओं ने खूब वाहवाही पाई। व्हाट्सएप पर अपने चर्चा सत्र और कविता गोष्ठी करने वाले माय मावशी समूह में इंदौर, जबलपुर, देवास, भोपाल, नागदा, सहित राज्य के कई शहरों के मराठी भाषी रचनाकार शामिल हैं। वरिष्ठ कवियत्री अलकनंदा साने ने माय मावशी की शुरुवात और यात्रा के बारे में बताया। संचालन कार्यक्रम समन्वयक अर्चना शेवड़े ने किया।

भोपाल से आई वयोवृद्ध साहित्यकार अनुराधा जामदार ने अंत में अध्यक्षीय भाषण में भाषा की शुद्धता पर जोर दिया तथा देवास के चेतन फडणीस ने आभार प्रदर्शन किया. इस कार्यक्रम में पूरे मध्यप्रदेश से करीब 40 साहित्यकार शामिल हुए।

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