जैसे कोई उदास लौट जाए दरवाजे से का लोकार्पण

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विश्व पुस्तक मेले में 12 जनवरी 2018 को वाणी प्रकाशन के हाल नं. 12ए स्टॉल 338-353 पर वाणी प्रकाशन से प्रकाशित युवा लेखिका ज्योति चावला का नया कविता संग्रह 'जैसे कोई उदास लौट जाए दरवाजे से' का लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। परिचर्चा में शामिल होंगे प्रसिद्ध कवयित्री अनामिका, वरिष्ठ कवि मदन कश्यप और आलोचक विनोद तिवारी।
 
ज्योति चावला की कविताओं को समझने के लिए उनके दोनों संग्रहों को एक अन्विति में रखकर देखना होगा, क्योंकि ये कविताएं एक प्रक्रिया की कविताएं हैं। एक स्त्री की प्रक्रिया की कविताएं कि कैसे उसके जीवन में बदलाव होता है और कैसे वह बदलाव उसकी चिंतन प्रक्रिया में दिखाई देता है। इस प्रक्रिया को देखना-समझना अवांतर से अपने समय और समाज को समझना है।

 
चूंकि ये कविताएं एक स्त्री की निगाह से देखी और बुनी गई हैं इसलिए ये ज्यादा विश्वसनीय भी हैं और एक समानांतर इतिहास को मुकम्मल भी करती प्रतीत होती हैं। इस संग्रह में शामिल 'बहरुपिया' और 'अंधेरे में और उसके बाद' कविताएं समाज के ऐसे यथार्थ को हमारे सामने रखती हैं, जो मुक्तिबोध और नागार्जुन की परंपरा की याद दिलाती हैं। इन कविताओं में जहां हमारा समाज है वहीं देखने के अलग दृष्टिकोण के कारण अर्थ का एक नया वितान भी हमारे सामने खुलता है। हर अच्छा/अच्छी कवि अपने साथ नया विषय और नई भाषा लेकर आता/आती है। इन कविताओं में नए विषय भी हैं और भाषा और रूप का नयापन भी है।
 
ज्योति चावला युवा लेखिका हैं। कविता और कहानी में समान रूप से लेखन। एक कविता संग्रह 'मां का जवान चेहरा' और एक कहानी संग्रह 'अंधेरे की कोई शक्ल नहीं होती' प्रकाशित। कविता की यह दूसरी किताब। कविताएं और कहानियां विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित। कहानी, महत्वपूर्ण कहानी संकलनों में संकलित। कविता के लिए शीला सिद्धांतकर स्मृति सम्मान। सृजनात्मक साहित्य के अलावा अनुवाद के उत्तर-आधुनिक विमर्श में खास रुचि। इन दिनों कविताओं, कहानियों के अतिरिक्त इस विषय पर सक्रियता से लेखन। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली में अध्यापन।

 
डॉ. अनामिका ने अब तक विपुल लेखन किया है जिनमें 8 कविता संग्रह, 5 कहानियां और आलोचना की कई पुस्तकें शामिल हैं। स्त्रीवादी विचारधारा से युक्त इनका स्वर और रचनाएं अंग्रेजी और हिन्दी के नवोदित लेखकों और कई पीढ़ियों के पाठकों को प्रेरित करती हैं। डॉ. अनामिका ने अनेक विख्यात कृतियों का अनुवाद किया है।
 
डॉ. अनामिका अकादमिक रूप से दिल्ली में कार्यरत हैं और द्विभाषी लेखक के रूप में 20 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रचनाओं का प्रकाशन कर चुकी हैं। वे एक प्रशिक्षित शास्त्रीय नृत्यांगना भी हैं। वर्तमान में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में अंग्रेजी की प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं।

 
डॉ. अनामिका को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार, गिरिजा कुमार माथुर सम्मान, साहित्यकार सम्मान, परंपरा सम्मान और केदार सम्मान शामिल हैं। अनुवाद कार्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें जनवरी 2017 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान जयपुर बुक मार्क के मंच से वाणी फाउंडेशन का 'डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवॉर्ड' प्रदान किया जा चुका है।

 
वरिष्ठ कवि मदन कश्यप का जन्म 29 मई 1954 को वैशाली (बिहार) में हुआ। उनकी कृतियां हैं- गूलर के फूल नहीं खिलते, लेकिन उदास है पृथ्वी, नीम रोशनी में, कुरुज, कवि ने कहा (चुनी हुईं कविताएं) और दूर तक चुप्पी।
 
विनोद तिवारी का जन्म 23 मार्च 1973 को देवरिया, उप्र में हुआ। हिन्दी के आलोचक और संपादक। दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के हिन्दी विभाग (उत्तरी परिसर) में हिन्दी का अध्यापन। 2 वर्षों के लगभग अंकारा विश्वविद्यालय, अंकारा (तुर्की) में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। लेखन की शुरुआत आलोचना से ही। देशभर की सभी पत्र-पत्रिकाओं में 100 से ऊपर लेख और समीक्षाएं प्रकाशित। बहुचर्चित और हिन्दी जनक्षेत्र में स्वीकृत पत्रिका 'पक्षधर' का संपादन-प्रकाशन कर रहे हैं। युवा आलोचना के लिए देशभर में प्रतिष्ठित 'देवीशंकर अवस्थी आलोचना सम्मान-2013' और 'वनमाली कथालोचना सम्मान-2016' से सम्मानित।
 
वाणी प्रकाशन 55 वर्षों से 32 विधाओं से भी अधिक में बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। इसने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गांवों, 2,800 कस्बों, 54 मुख्य नगरों और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।
 
वाणी प्रकाशन भारत की प्रमुख पुस्तकालय प्रणालियों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य-पूर्व से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 32 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। संस्था को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, इंडोनेशियन लिटरेरी क्लब और रशियन सेंटर ऑफ आर्ट कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-स्वीडिश, रशियन और पोलिश लिटरेरी सांस्कृतिक विनिमय विकसित करने का गौरव प्राप्त है।

 
वाणी प्रकाशन ने 2008 में भारतीय प्रकाशकों के संघ द्वारा प्रतिष्ठित 'गण्यमान्य प्रकाशक पुरस्कार' भी प्राप्त किया है। लंदन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को वातायन सम्मान तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक व वाणी फाउंडेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिजनेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में एक्सीलेंस अवॉर्ड से नवाजा गया।
 
प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अपूर्व घटना मानी जा रही है। 3 मई 2017 को नई दिल्ली के 'विज्ञान भवन' में 64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा 'स्वर्ण-कमल- 2016' पुरस्कार 'लता : सुर-गाथा' पुस्तक बतौर प्रकाशक वाणी प्रकाशन को प्रदान किया गया।

 
भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने राजधानी के श्रेष्ठ पुस्तक केंद्र ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम-श्रृंखला की शुरुआत की है जिनमें 'हिन्दी महोत्सव' उल्लेखनीय है।
 
उम्मीद है कि विश्व पुस्तक मेला 2018 में 'जैसे कोई उदास लौट जाए दरवाजे से' पर होने वाले इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक पाठक और बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे तथा पूरे आयोजन को सफल और यादगार बनाएंगे।

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