कभी कभी सुबह जल्दी उठता हूँ और सूरज को उगते देखता हूँ अच्छा लगता है। हमेशा से अच्छा लगता है। उगते गोल नारंगी सूरज के उगने के पहले नीचे का आसमान जैसे नारंगी रंग में रंगा होता है। ऊपर कुछ काले बादल उस नांरगी रंग को और भी मनोहारी बना देते हैं। ठंडी हवा मन को पता नहीं किस ओर उड़ा कर ले जाती है। उसके साथ उड़ते हुए अच्छा लगता है। अपने ताजापन में खिले पीले फूल भी मन को अच्छे लगते हैं। कभी कभी रात रात नींद नहीं आती। करवटें बदलना अच्छा लगता है। वे दिन याद आते हैं जब छत पर सोते हुए तारों भरे आकाश को तका करते थे। थकते नहीं थे-तारों को अपलक निहारा करते थे। तारों जड़ा आकाश। जैसे किसी नीले बदन ने तारों को लपेट रखा है।
सब चीजें बदलती हैं। लोग कहते हैं परिवर्तन ही सत्य है। सब बदलता है। लेकिन जीवन में कुछ चीजें कभी नहीं बदलती। बदलने में बहुत सारा बदल कर बुरा हो जाता है। लेकिन कुछ चीजें हमेशा अच्छी बनी रहती हैं। जैसे नीला तारों भरा आकाश हमेशा अच्छा लगता है।
पंकज चतुर्वेदी हिंदी के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं लेकिन वे अच्छे कवि भी हैं। उनकी एक बहुत ही सादा कविता कुछ दिन पहले पढ़ी थी। लगा, इसे संगत में शामिल किया जाना चाहिए। लिहाजा आपके सब के लिए इस बार संगत में उनकी यह कविता-
कुछ चीजें अब भी अच्छी हैं।
कुछ चीजें अब भी अच्छी हैं
यह पहली पंक्ति है। जैसे लगातार बुरी और बदसूरत होती जा रही जिंदगी में एक सूचना बल्कि एक खबर दी जा रही हो। आश्वस्त किया जा रहा हो, भरोसा दिया जा रहा हो कि - कुछ चीजें अब भी अच्छी हैं। फिर बुरी चीजों की एक छोटी-सी फेहरिस्त दी जा रही है। इसके लिए स्टेशन को चुना गया है। एक सादगी के साथ अपनी बात को कहने का तरीका।
न यात्रा अच्छी
न ट्रेन के भीतर की परिस्थिति
जीवन के अनुभव का एक आम टुकड़ा। सबके जीवन का एक आम अनुभव। लेकिन इस अनुभव से जो सच सामने आता है वह मार्मिक है। असाधारण तो नहीं लेकिन जीवन को नए मायने देता हूँ। अच्छी चीजों को पहचानता हुआ, समझता हुआ, महसूस करता हुआ। ठीक है कि यात्रा भी अच्छी नहीं और ट्रेन के भीतर की परिस्थितियाँ भी अच्छी नहीं लेकिन इसके बावजूद और इस सबके बीच कुछ है जो अब भी अच्छा है। कवि इसी अच्छी चीजों की पहचान करता है और जीवन को सुंदर बनाता है। सुंदरता को बचा लेता है।
लेकिन गाड़ी नंबर
गाड़ी के आने और जाने के समय की सूचना देती
तुम्हारी आवाज अच्छी है
सब खराब है लेकिन गाड़ी के आने जाने के समय की सूचना देती तुम्हारी आवाज अच्छी है। कविता यही करती है। कवि भी यही करता है। वह लगातार बदसूरत और कर्कश होती जा रही है दुनिया में हमेशा अच्छी और मधुर चीजों को पहचान लेता है, सुन लेता है, अपने पास धड़कता हुआ महसूस कर लेता है और विश्वास के साथ कहता है कि
कुछ चीजें अब भी अच्छी हैं
जो चीजें अच्छी हैं, उन्हें पहचानिए, उन्हें सुनिए, उन्हें महसूस कीजिए, उन्हें देखिए। यही अच्छी चीजें जीवन को अच्छा बनाती हैं।