राजनीतिक सरगर्मियों का ताज़ा रुख

गले की फांस निकाल घुटन से मुक्त हुए नीतीश कुमार। 
अर्से से राजनीतिक भूकम्प के ऊपर सिहर रहा था बिहार ।।
हठधर्मी, (चोरी और) सीनाजोरी से दुखी थे अन्तरतम से नीतीश,
भ्रष्ट परिवारवाद का अजगर आखिर निगल गया बिहार की सरकार ।।
 
लालू कुनबे की कालिख से पा गई निजात बिहार सरकार। 
कानूनी गर्माहट झेलेगा अब छत्रहीन लालू परिवार ।।
उजड्ड राजनीति के चलते भटक गया था जिस धारा से,
सुराज और विकास के पथ पर (निष्कंटक) अब चलने को तैयार बिहार।।
 
राजनीति में उभरी चमत्कारिक जोड़ी मोदी-शाह की। 
विपक्ष ने इनसे न गुर सीखने की कभी परवाह की ।।
वह तो तैरता रहा उथले पानी में महागठबन्धनों के,
वे दोनों आकलन-रत निरन्तर जन आकांक्षाओं के समुद्र की थाह की ।।
 
लक्ष्य दूर है पर अर्जुन सी आँख गड़ाए दिखते शाह। 
उधर विपक्ष के क्षत्रप सभी ऊंघते, आत्ममुग्ध या बेपरवाह।।
वे तो उलझे हैं छोटे मसलों में न ललक जिम्मेदारियों के निर्वाह की। 
इधर पगध्वनि सुनाई दे रही निरन्तर प्रान्त-प्रान्त में शाह की।।
 
अपनी मस्तानी गज-चाल से, चलते रहे हैं अब तक शाह। 
मोदी की मुसकान के नीचे, आलोचकों से बेपरवाह।।  
गोवा में या कि मणिपुर में, या लालू ग्रस्त नीतीश के बिहार में,
अब तक तो किया नहीं दिखता है, कोई बेलज़्ज़त गुनाह।।

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