नया साल लाए हैं

दिनेश 'दर्द'
फिर से पुराना साल बिदा कर
फिर से नया साल लाए हैं,
कुछ उम्मीदें और कुछ सपने
अबकी बार भी सजाए हैं...
 
जबकि दुनिया एक-दूजे पर
बम बरसाने लग गई
हर इक दिल में अब जबकि
दहशत-सी छाने लग गई
ऐसे में बरसाने हम कुछ,
श्रद्धा-सुमन ही लाए हैं
फिर से पुराना साल बिदा कर......
 
भूख मिटेगी रोटी की अब
कोई न भूखा सोएगा,
अपना नसीबा कोस-कोस
अब कोई कभी न रोएगा
हँसने के दिन आए हैं अब,
आँसू बहुत बहाए हैं
फिर से पुराना साल बिदा कर......
 
छोड़ दो ये खींचा-तानी सब
मिल-जुलकर सब काम करो,
इक-दूजे के दर्द को जानो
इक-दूजे से प्यार करो
फूल से भर दो उन राहों को,
जिनपे काँटे बिछाए हैं
फिर से पुराना साल बिदा कर...

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