युद्ध भूमि में

आशा जाकड़
SubratoWD
युद्ध भूमि में
घायलों के कटे अंग
पँख बिन जैसे विहंग
कह रहे मानो ,
घावों को कोई मरहम दे दे
ह्रदय के शोलों को शबनम दे दे
ताकि भिड़ सकें हम
दुश्मनों से
भून सके गोलियों से
काश कोई बैसाखी बन जाए
ये शरीर देश के काम आए
मर कर वीरगति प्राप्त कर सके
निज मानस जन्म पर गौरव कर सके ।