लघु कहानी : एक पैर की चिड़िया

सुशील कुमार शर्मा
कल सुबह नींद खुली तो मैंने देखा कि एक चिड़िया, जिसका सिर्फ एक ही पैर था, आंगन में फुदक रही थी। बहुत मुश्किल से वह अपना संतुलन बना पा रही थी। 
 
वह फुदककर दाना उठाती और उड़कर घोंसले में जाने की कोशिश करती लेकिन उड़ नहीं पा रही थी। उसके चूजे घोंसले से उसे पुकार रहे थे। उसने बहुत कोशिश की लेकिन वह घोंसले में नहीं जा पा रही थी। 
 
तभी चिड़िया ने देखा कि एक बिल्ली दबे पैर उसके चूजों की ओर बढ़ रही है। न जाने उसमें कहां से ताकत आ गई कि वह बिजली की तेजी से उड़ी और चीखती हुई बिल्ली के पास पहुंचकर पीछे से बिल्ली पर चोंच मारी। बिल्ली बिलबिलाकर उस पर झपटी, तब तक चिड़िया फुदककर दूर जा बैठी।
 
मैं सोच रहा था कि जिस चिड़िया से दो कदम उड़ते नहीं बन रहा था उस चिड़िया ने हमला कर बिल्ली से अपने बच्चों को बचा लिया, जो उसकी अदम्य इच्छाशक्ति का ही परिणाम था। 
 
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