Uttam kshama: श्वेतांबर और दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व भाद्रपद मास में मनाए जाते हैं। श्वेतांबर के व्रत समाप्त होने के बाद दिगंबर समाज के व्रत प्रारंभ होते हैं। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं जिसे वे 'दसलक्षण' कहते हैं। अंतिम दिन श्वेतांबर 'मिच्छामि दुक्कड़म्' तो दिगंबर जैन 'उत्तम क्षमा' कहते हुए लोगों से क्षमा मांगते हैं।
ये दसलक्षण हैं- क्षमा, मार्दव, आर्नव, सत्य, संयम, शौच, तप, त्याग, आकिंचन्य एवं ब्रह्मचर्य। इसे 'दसलाक्षिणी' पर्व भी कहा गया है। यह संतों के साथ ही गृहस्थों के लिए भी कर्तव्य कहे गए हैं। गृहस्थों को इन 10 दिनों तक दसलक्षण का पालन करना चाहिए।
7. तप : शास्त्रों में वर्णित बारह प्रकार के तप से जो मानव अपने तन, मन और संपूर्ण जीवन को परिमार्जिन या शुद्ध करता है, उसके जन्म जन्मांतर के पाप कटकर कर्म नष्ट हो जाते हैं।