दशरथनंदन केवल 'निर्बल के बल राम' नहीं हैं, जिन्हें मनुष्य सोते, जागते हँसते, रोते, खाते-पीते और यहाँ तक कि मरने के साथ तक याद करता है। इसलिए भगवान राम मात्र आराध्य देव नहीं, एक पूज्यनीय स्वरूप नहीं हैं, वरन् वाल्मीकि के ऐसे महानायक हैं, जो कि लोगों में कहीं भी, कभी भी दोष नहीं देखते।