बीकानेर के राजस्थान राज्य अभिलेखागार में राज्य के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास, राजस्थान प्रजामंडल आंदोलन का ब्यौरा और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन से जुड़े अनछुए पहलुओं की माइक्रो फिल्म बनाकर इसका डिजिटलाइजेशन करवाया गया है, जिसे दुनियाभर में मात्र एक क्लिक पर देखा जा सकेगा।
यह विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वाला यह देश का पहला अभिलेखागार होगा।
राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डॉ. महेंद्र खडगावत ने बताया कि राजस्थान सरकार ने 1982 में जीवित स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरणों को ध्वनिबद्ध करने के लिए मौखिक इतिहास पर एक परियोजना अभिलेखागार को दी थी। जिसके तहत 246 स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरणों को ध्वनिबद्ध किया गया। इसके साथ ही उन्हें लिपिबद्ध भी किया गया। लिपिबद्ध करने के पश्चात इनको वापिस सभी स्वतंत्रता सेनानियों को भेजा गया।
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स्वतंत्रता सेनानियों ने प्रत्येक पृष्ठ को पढ़कर उसमें सुधार कर हर पन्ने पर हस्ताक्षर कर अभिलेखागार को भेज दिया।
उन्होंने बताया कि पहले स्वतंत्रता सेनानियों के आडियो टेप बनाए गए थे, लेकिन अब इसकी सीडी बना दी गई है। यह सीडी आम जनता के लिए भी अभिलेखागार में उपलब्ध है। अभिलेखागार की ओर से सीडी और आडियो कैसेट स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवार को नि:शुल्क दी जाती है।
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डॉ. खडगावत ने बताया कि इस नई व्यवस्था के बाद राजस्थान के स्वतंत्रता आंदोलन और राजस्थान प्रजामंडल आंदोलन के बारे में पूरी दुनिया में एक क्लिक पर देखा और पढ़ा जा सकेगा। राज्य सरकार ने इस बार के बजट में अभिलेखागार को एक करोड़ रुपए स्वतंत्रता सेनानी दीर्घा के विस्तार के लिए दिए थे।
डॉ. खडगावत ने बताया कि इस धन से स्वतंत्रता सेनानी दीर्घा के द्वितीय चरण पर काम किया जाएगा और कुछ और स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र संक्षिप्त वर्णन सहित लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अभिलेखागार ने राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानियों पर संभागवार पुस्तकें निकाली हैं, जिनमें से छह संभाग मुख्यालयों अजमेर, उदयपुर, कोटा, भरतपुर, जयपुर व जोधपुर की पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं और बीकानेर संभाग में यह काम शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा।
डॉ. खडगावत ने बताया कि इसकी पूरी कोशिश की गई है कि राज्य अभिलेखागार में संग्रहित सामग्री पूरी तरह से सत्य और तथ्यपरक हो। अभिलेखागार की ओर से स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरण ध्वनिबद्ध करने से पूर्व एक प्रश्नावली बनाकर भेजा गई, जिनमें गोपनीय दस्तावेज, जेल, कारावास, नजरबंदी इत्यादि पर सवाल शामिल थे।
स्वतंत्रता सेनानी द्वारा उपलब्ध कराए गए गोपनीय दस्तावेजों की उचित जांच और सरकारी रिकार्ड से उनके मिलान के बाद उनके संस्मरण ध्वनिबद्ध किए गए।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में दो सौ बारह स्वतंत्रता सेनानियों की सचित्र दीर्घा का निर्माण किया गया था, जिसे देखकर यहां पर आने वाले स्वतंत्रता सेनानी चकित रह जाते है। स्वतंत्रता सेनानियों का कहना है कि यह राज्य की अपनी तरह की विशिष्ट दीर्घा है।
उन्होंने इसे देश में अनूठी पहल करार देते हुए कहा कि राजस्थान राज्य अभिलेखागार में स्वतंत्रता सेनानियों और प्रजामंडल की जो भी पत्रावलियां हैं (प्रेस कटिंग्स, गोपनीय दस्तावेज) उनकी माइक्रो फिल्म बनाकर इसका डिजिटलाइजेशन करवाया गया है। इससे इन्हें लम्बे समय तक सुरक्षित व संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। (भाषा)