इलाहाबाद कुंभ मेला : पहला शाही स्नान 14 जनवरी को

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इलाहाबाद के कुंभ मेले में जहां श्रद्‍धालुओं की भीड़ जमा होने लगी है वहीं 14 जनवरी को होने वाले पहले शाही स्नान के लिए शैव संन्यासी अखाड़े के साधुओं ने संगम तट पर डेरा डाल रखा है। साधुओं के स्नान के बाद ही आम लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं। इस शाही स्नान की तैयारियां अभी से ही शुरू हो गई हैं।

शंकराचार्य हो या नागा साधु सभी महापर्व कुंभ में पहुंच गए हैं। सभी तेरह अखाड़े इस शाही स्नान में शामिल होंगे। सभी साधू-संत झूमते गाते और नाचते हुए संगम में डुबकी लगाने निकलते हैं।

अखाड़ों में रहेगी होड़ : शाही स्नान करने जाते समय साधु-संत अपनी अपनी परंपरा अनुसार शाही अंदाज में जुलूस निकालेंगे। कोई हाथी या घोड़े पर सवार होकर बैंड-बाजे के साथ निकलेगा तो कोई राजसी पालकी में।

आगे-आगे नागाओं की फौज होती है और उसके पीछे-पीछे महंत, मंडलेश्वर, महा मंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर। शाही स्नान में किसका जुलूस सबसे बड़ा और भव्य हो इसको लेकर अखाड़ों में होड़ मची रहती है।

डुबकी की संख्या : हिन्दू धर्म में अखाड़ों के शाही स्नान के बाद संगम में डुबकी लगाने का बड़ा धार्मिक महत्व है। कुंभ पर्व में आम श्रद्धालु एक से पांच बार डुबकी लगाता है, जबकि अखाड़ों के नागा तो एक हजार आठ बार तक नदी में डुबकी लगाते हैं।

माना जा रहा है कि 14 जनवरी को होने वाले प्रथम शाही स्नान में एक करोड़ दस लाख लोगों के स्नान करने की संभावना है।

इलाहाबाद के कुंभ महापर्व में संतों के मुख्य तीन शाही स्नान 14 जनवरी, 10 फरवरी और 15 फरवरी को होंगे। (एजेंसी)

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