Jagadguru Swami Ramanandacharya : श्री रामानंदाचार्य/ रामानंद 14वीं शताब्दी के वैष्णव भक्ति कवि संत थे। वे हिंदुओं के सबसे बड़े मठवासी समुदायों में से एक थे, जिनकी जयंती इस वर्ष 2025 में 21 जनवरी को मनाई जा रही है। स्वामी रामानंदाचार्य एक महान संत और भक्ति आंदोलन के प्रमुख प्रवर्तक थे। उन्होंने भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी और समाज में जाति-पाति के भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। प्रतिवर्ष उनकी जयंती को भारत में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। मान्यतानुसार जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी ने संवत् 1532 यानि सन् 1476 में अपनी देह छोड़ दी थी।ALSO READ: Solar Eclipse 2025: क्यों खतरनाक है 2025 का पहला सूर्य ग्रहण?
जगद्गुरु रामानंदाचार्य जयंती कैसे मनाई जाती है :
श्री रामानंदाचार्य जयंती पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें मुख्य आयोयजन शामिल हैं:
• धार्मिक समारोह: उनकी जयंती के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
• सम्मेलन: रामानंदाचार्य के जीवन और कार्यों पर आधारित सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।
• भजन-कीर्तन: भजन-कीर्तन के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
• शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में रामानंदाचार्य के जीवन और कार्यों पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
स्वामी रामानंदाचार्य का जीवन परिचय :
• जन्म: आदि जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य का जन्म 14वीं शताब्दी में हुआ था।
• तिथिनुसार स्वामी रामानंदाचार्य का जन्म माघ मास की सप्तमी को कान्यकुब्ज ब्राह्मण के कुल में हुआ था।
• उनके पिता का नाम पुण्य शर्मा तथा माता का नाम सुशीलादेवी था।
• गुरु: उन्होंने वाराणसी के स्वामी राघवानंदाचार्य से दीक्षा ली।
• शिक्षा: उन्होंने वेदों, उपनिषदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों का गहरा अध्ययन किया।
• भक्ति आंदोलन: उन्होंने भक्ति आंदोलन को जन-आंदोलन का रूप दिया और भक्ति मार्ग को सभी वर्गों के लोगों के लिए सुलभ बनाया।
• धार्मिक महत्व: रामानंदाचार्य जयंती हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन भक्त उनके जीवन और कार्यों को याद करते हैं।
• समाज सुधार: यह दिन हमें समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है।
• भक्ति मार्ग: यह दिन भक्ति मार्ग के महत्व को याद दिलाता है।
रामानंदाचार्य जी का योगदान :
• शिक्षा का प्रसार: उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की।
• संगीत और साहित्य: उन्होंने भक्ति गीतों और पदों की रचना की, जिससे भक्ति आंदोलन को और बल मिला।
• भक्ति आंदोलन को नई दिशा: उन्होंने भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी और इसे जन-आंदोलन का रूप दिया।
• समाज सुधार: उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे जातिवाद, छुआछूत आदि का विरोध किया।
रामानंदाचार्य एक महान संत थे, जिन्होंने समाज को एक नई दिशा दी। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। रामानंदाचार्य के जीवन और कार्यों से हमें क्या सीख मिलती है :
• समाज सेवा: हमें समाज सेवा के लिए प्रेरित होना चाहिए।
• भक्ति मार्ग: हम सभी को यानि प्रत्येक मनुष्य को भक्ति मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
• समाज सुधार: हमें समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
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