- मुनि पुलकसागर जी
एक छोटी-सी भूल सदियों की सजा बन जाती है, इसलिए हमें जीवन को सही और व्यवस्थित तरीके से जीना चाहिए। जिन मां-बाप ने हमें खून दिया उन्हें बुढ़ापे में खून के आंसू बहाने पर मजबूर करना कायरता है। हमें जीवन में उपयोगिता के बदले उपयोगिता, भावना के बदले भावना चाहिए, लेकिन कर्तव्य के बदले कुछ नहीं लेना चाहिए, क्योंकि कर्तव्य तो निःस्वार्थ भावना से किए जाते हैं।
जिन माता-पिता ने अपने खून से हमें बड़ा किया उनके लिए खून बहा देना मानवता है, जबकि असहाय जीवों का खून बहा देना हिंसा और अमानवीयता है। अत: हमें कर्तव्यनिष्ठ होकर जीवन जीना चाहिए, क्योंकि कर्तव्य के पालन में तर्क नहीं समर्पण की जरूरत पड़ती है। अत: आप भी सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो इन 3 सूत्रों को हमेशा अपने जीवन में अपनाना चाहिए।