भारतीय किसान संघ ने अपनी मांगों को लेकर मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में अपना डेरा जमा लिया है। गुरुवार को हजारों किसान कलेक्टोरेट कार्यालय के सामने बैठ गए हैं। यह आंदोलन अनिश्चितकालीन है। जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होगी, किसान आंदोलन जारी रखेंगे।
दरअसल, किसानों ने अपनी पूरी तैयारी के साथ आंदोलन की शुरुआत की है। वे साथ में ट्रैक्टर ट्रॉली में दाल, चावल, आटा, घी, कंडे और बिस्तर लेकर आए हैं। बता दें कि करणी सेना ने भी किसानों के इस आंदोलन का समर्थन करते हुए बडी संख्या में किसान और किसान समर्थित संगठन इस आंदोलन में शामिल हुए हैं।
बिना अनुमति कृषि भूमि पर अधिग्रहण सर्वे : भारतीय किसान संघ मालवा प्रांत के संभाग अध्यक्ष कृष्णपाल सिंह राठौर ने वेबदुनिया को बताया कि पिछले कई महीनों से किसान संघ शासन ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर चर्चा कर रहा है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। उन्होंने बताया कि किसानों की जानकारी और अनुमति के बगैर शासन ने उनकी कृषि जमीन पर अधिग्रहण को लेकर सर्वे शुरू कर दिया है।
तब तक नहीं हटेंगे, जब तक... : इंदौर जिला प्रचारक राहुल मालवीया और संभाग अध्यक्ष कृष्णपाल सिंह ने बताया कि इंदौर में आउटर रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों ने गुरुवार से कलेक्टोरेट के सामने अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके लिए किसान पूरी तरह से तैयार होकर आए हैं। उन्होंने बताया कि इंदौर और आसपास के किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में खाने पीने और रूकने की व्यवस्था साथ आंदोलन में पहुंचे हैं। किसानों ने कंडे, घी, दाल, आटा, बर्तन और रात्रि विश्राम के लिए बिस्तर, गद्दे और कंबल रात को ही गाड़ियों में भर लिए थे। गुरुवार सुबह से उन्होंने कलेक्टोरेट के सामने धरना दे दिया हैं। उन्होंने बताया कि करणी सेना ने भी किसानों को समर्थन दिया है। आंदोलन में संगठन मंत्री अतुल महेश्वरी, मालवा प्रांत जैविक प्रमुख आनंद सिंह ठाकुर, इंदौर जिला अध्यक्ष राजेंद्र पाटीदार, जिला मंत्री महेश राठौर, महानगर अध्यक्ष दिलीप मुकाती, महानगर मंत्री वरदराज पाटीदार आदि उपस्थित थे।
क्या है हैं किसानों की मांगें?
इन मांगों में इंदौर में पूर्वी और पश्चिमी रिंग रोड निर्माण कार्य के लिए किया जाने वाला जॉइंट सर्वे तत्काल बंद किया जाए।
केंद्रीय भू-अधिग्रहण कानून 2014 को संपूर्ण राज्य में जल्द लागू किया जाए।
पिछले 12 सालों से गाइडलाइन नहीं बढ़ाई गई है, इसे हर साल 25% की दर से बढ़ाया जाए।
बढ़ी हुई गाइडलाइन के आधार पर चार गुना मुआवजा दिया जाए।
आउटर रिंग रोड के लिए जारी किए गए वर्तमान राजपत्र को निरस्त कर गाइडलाइन बढ़ाने के बाद नया राजपत्र जारी किया जाए।
किसी भी जमीन अधिग्रहण योजना में किसानों की सहमति के बिना अधिग्रहण प्रक्रिया आगे न बढ़ाई जाए।
मध्य प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों को भंग किया जाए। किसानों का आरोप है कि आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) अपना उद्देश्य भूल चुका है और अब केवल सरकारी भू-माफिया की तरह काम कर रहा है।
किसानों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगों को प्राथमिकता से स्वीकार किया जाए, अन्यथा भारतीय किसान संघ बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होगा। संघ के प्रचार-प्रसार प्रमुख राहुल मालवीय ने बताया कि प्रदेश और राष्ट्रहित में किसान संघ की मांग है कि मध्य प्रदेश में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को उसके मूल स्वरूप में लागू किया जाए, ताकि संतुलित विकास हो सके।