बाबरिया ने कहा, कांग्रेस में वापसी की इच्छा रखने वाले अलग-अलग नेताओं से हमारी इस अभियान के तहत चर्चा हो रही है। लेकिन ज्यादातर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का साफतौर पर मानना है कि जिन नेताओं ने उनके निजी स्वार्थ के चलते पार्टी के साथ गद्दारी करते हुए पाला बदला है, उन्हें पार्टी में वापस नहीं लिया जाना चाहिए। मैं भी इस बात का समर्थन करता हूं।
मध्यप्रदेश के प्रभारी कांग्रेस महासचिव ने कहा, जो लोग जयचंद की भूमिका निभाते हुए कांग्रेस छोड़कर गए हैं, उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा। बाकी (दलबदलू) नेताओं को पार्टी में दोबारा लेने का फैसला गुण-दोष के आधार पर किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई दलबदलू नेता किसी शर्त के साथ कांग्रेस में वापसी की बात करता है, तो उसे पार्टी में दोबारा शामिल नहीं किया जाएगा। दिसंबर 2003 में मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने पाला बदलकर सत्तारुढ़ दल का दामन थामा था।
इनमें चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, डॉ. भागीरथ प्रसाद, राव उदय प्रताप सिंह के नाम प्रमुख हैं जिन्होंने नाजुक सियासी मौकों पर अचानक भाजपा में शामिल होकर कांग्रेस को करारा झटका दिया था। सूबे की सत्ता से डेढ़ दशक लंबा वनवास खत्म करने के लिए कांग्रेस ने इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले घर वापसी अभियान की घोषणा की है। कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा या अन्य दलों का दामन थामने वाले नेताओं को इस अभियान के तहत दोबारा कांग्रेस में शामिल किया जाएगा।
बाबरिया ने एक सवाल पर कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उन सीटों पर पहले ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जहां कांग्रेस मुश्किल चुनौती से जूझ रही है। इन सीटों पर योग्य नेताओं को चुनावों से काफी पहले इशारा कर दिया जाएगा कि वे उम्मीदवारी की तैयारी करें।