कुटुंब अदालत ने यह अर्जी स्वीकार करते हुए एक मार्च को पारित आदेश में कहा, जब अदालत में राखी (परिवर्तित नाम) के कथन हुए, तो राखी ने स्वीकार किया कि वह मांग में सिंदूर नहीं लगाए हुए है। सिंदूर एक पत्नी का धार्मिक दायित्व है और उससे यह मालूम पड़ता है कि महिला विवाहित है।
अपनी मर्जी से खुद को पति से अलग किया : अदालत ने कहा कि प्रतिवादी महिला के पूरे कथन के अवलोकन से स्पष्ट है कि उसे उसके पति ने नहीं छोड़ा है, बल्कि उसने अपनी मर्जी से खुद को पति से अलग किया है और वह उससे तलाक चाहती है। कुटुंब अदालत ने कहा, उसने (महिला) पति का परित्याग किया है। वह स्वयं सिंदूर नहीं लगा रही है।
दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के आरोप : महिला ने अपने पति की अर्जी के जवाब में अपने जीवनसाथी पर दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए। हालांकि कुटुंब अदालत ने तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि महिला ने अपने इन आरोपों को लेकर पुलिस में दर्ज कराई गई कोई शिकायत या पुलिस की कोई रिपोर्ट अदालत के सामने पेश नहीं की है।