जिम्मी मगिगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की निदेशिका जनक पलटा मगिलिगन ने क्रिश्चियन एमिनेंट कॉलेज इंदौर के छात्रों और शिक्षकों को प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग बताते हुए सेंटर पर आयोजित कार्यशाला में प्रशिक्षित किया।
सबसे पहले उनका स्वागत अपने हरे-भरे आवास पर 5 मनुष्यों, 4 जानवर, कई पेड़ों और पौधों के अपने एक सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व परिवार ने किया। फिर उन्हें अपने ऑर्गेनिक खेत दिखाने ले गई जो उनके लिए साल भर का अनाज, दालें ,सब्जियां, मसाले, फल, जड़ी-बूटियों को उपजाता है।
जैसे-जैसे वे साथ-साथ चल रहे थे, जनक दीदी ने दिखाया कि उनको साल भर हर रोज़ ताजा पुदीना उस पानी से मिलता है जो खाने से पहले हाथ धोने वाले पानी से उगता है।
फिर किचन गार्डन में सब फल, नींबू ,जामफल,सीताफल लेमनग्रास, तुलसी,मीठी नीम, किचन में से बर्तन धोने के बाद आ रहे पानी से तैयार होते हैं।
खास बात यह है कि हाथ धोने, नहाने, बर्तन सफाई में कोई रसायन या बाज़ार के सामान नहीं होते।
फिर उन्होंने रेन वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम तालाब को देखा। छात्रों को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि बीज, पौधे, शहतूत की कलम बना कर दूसरों को दिए जाते हैं। बीज भी सेंटर पर ही संरक्षित व् विकसित किए गए। उन्होंने एक हाइब्रिड विंड एंड सोलर पावर स्टेशन देखा, जो आसपास के गांवों में मुफ्त बिजली की आपूर्ति करता है।
जनक दीदी ने बताया कि सूर्य असीमित प्रकाश दे रहा है और जो घर में आई सूर्य की ऊर्जा नहीं ले पा रहा है वह समझदार नहीं है।
उनके अनुसार सोलर कुकिंग उतनी ही सरल है जितना सूर्य को देखना। वर्ष के लगभग 300 दिनों के लिए भोजन सौर ऊर्जा से पकाया जाता है, शेष 65 दिनों पुराने समाचार पत्रों के साथ घर पर बने ब्रिकेट का उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता है।
एलपीजी का उपयोग बहुत कम ही किया जाता है। पिछले 8 वर्षों के दौरान उसने केवल 3 गैस सिलेंडरों का उपयोग किया है और चौथा चालू है। एयर कंडिशनिंग या वॉशिंग मशीन नहीं हैं। एलईडी और अन्य ऊर्जा कुशल रोशनी का उपयोग किया जाता है। यह प्लास्टिक फ्री और जीरो वेस्ट लाइफ स्टाइल है। जनक पलटा मगिलिगन ने आयोजनों में अपने खुद के स्टील के गिलास और एक रूमाल ले जाकर पानी बचाने का एक सरल उपाय भी बताया।
वे प्लास्टिक और डिस्पोजेबल और पेपर नैपकिन का उपयोग नहीं करती और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाती हैं।