पत्रकारिता और राजनीति की नर्सरी है इंदौर

इंदौर। इंदौर एक नर्सरी है। चाहे वह अधिकारी हो या पत्रकार। वे यहां से निकलकर जो भी उपलब्धि हासिल करते हैं तो उसका श्रेय यहां के लोगों को जाता है। यहां के निकले पत्रकारों का डंका देश में तो बजता ही है, विदेशों में भी उनकी पूछपरख है। विश्व में कहीं भी जाओ, यहां के पत्रकार मिल ही जाते हैं। इंदौर को राजनीति की भी नर्सरी कह सकते हैं, क्योंकि मैं जब यहां कलेक्टर था तब जो निगम पार्षद हुआ करते थे वे भी आज कहां से कहां आगे बढ़े हैं, सब जानते हैं। मुझे माथुरजी से बहुत कुछ सीखने को मिला है। मूलधन पत्रकारिता व संतुलित दृष्टिकोण सीखने से आपका भी वेल्यु एडिशन होता है।
 
यह बात देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने सोमवार को आयोजित इंदौर प्रेस क्लब के 56वें स्थापना दिवस समारोह में कही। रावत ने देश में चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर कहा कि आयोग पर सबकी नजर है, क्योंकि उसका काम है लोकतंत्र की रक्षा करना, पूरी व्यवस्था का निष्पक्षता से संचालन कराना। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि यदि 1.25 करोड़ लोग, राजनीति के लोग, मीडिया के सदस्य यदि प्रहरी के रूप में काम नहीं कर रहे हों तो एक 500 लोगों वाली छोटी-सी संस्था पूरे देश में चुनाव करा दे, यह संभव नहीं है।
 
यदि 70 वर्ष में देश की जो अनोखी उपलब्धि है वो है एरर फ्री चुनाव करना है। यह पूरा विश्व मानता है। इंटरनेशनल कॉन्फेंस में जाता हूं तो सभी भारत की ओर देखते हैं। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, चीन सभी भारत की ओर देखते हैं, क्योंकि 87 करोड़ मतदाता कहीं पर भी नहीं है। वे सब सीखना चाहते हैं कि कैसे 500 लोगों की छोटी-सी संस्था वहां पर चुनाव करा लेती है। उन्होंने देश में ईवीएम व मतदाता सूची को लेकर विवाद उठना जरूरी है क्योंकि यदि गड़बड़ी सामने नहीं आएगी तो उसे सुधारेंगे कैसे। इसलिए यदि चुनाव से संबंधित कोई भी गड़बड़ी सामने आए तो उसे पूरी निडरता के साथ सामने लाए। 
 
वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने कहा कि माथुरजी के लेखन के सब मुरीद थे। उनके दायरे बहुत व्यापक थे। उन्होंने कहा माथुरजी ने हिंदी को गढ़ने में योगदान दिया है। वे लिखते तो उसमें हिन्दी का ठाठ और अंग्रेजी की रवानी नजर आती थी। इमरजेंसी और उसके बाद माथुरजी का स्वर्णिम समय था। याद है राम मंदिर का दौर जब आपातकाल जैसे हालात में रज्जू बाबू ही थे जिन्होंने लिखा था कि देश ही नहीं बचेगा तो हिन्दुत्व को किस खूंटी पर टांगोगे।
 
संपादक के तौर पर वे लिबरल थे और वे बहुत से पत्रकारों के लिए संपादक कम गुरु ज्यादा थे। हिन्दी पत्रकारिता की भाषा को गढ़ने और उसे मांजने में उनकी अहम भूमिका रही। पत्रकारिता में राजेंद्र माथुर का दौर और आज का मीडिया विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद की शुरुआत में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी ने विषय का प्रतिपादन करते हुए कहा कि रज्जू बाबू जैसे गुरु आज के जमाने में मिलना मुश्किल है। वे हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर समान अधिकार रखते थे। उनका लिखा आज भी प्रासंगिक है।
 
इसके पहले कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन और मां सरवस्ती के चित्र पर माल्यार्पण कर अतिथियिों द्वारा किया गया। अतिथि स्वागत इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष  अरविंद तिवारी, महासचिव नवनीत शुक्ला, सचिव हेमंत शर्मा, कोषाध्यक्ष दीपक कर्दम, कार्यकारिणी सदस्य प्रदीप जोशी व अनमोल तिवारी, पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष जयकृष्ण गौड़ व शशींद्र जलधारी, स्पोर्टस क्लब के अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ ने किया। स्व. गोपीकृष्ण गुप्ता की पत्नी को भी मंच पर आमंत्रित कर स्वागत किया गया।
 
इस अवसर पर पत्रकारों को श्रेष्ठ रिपोर्टिंग पर पुरस्कृत भी किया गया। समारोह में विधायक उषा ठाकुर, पद्मश्री अभय छजलानी, शहर काजी डॉ. इशरत अली, बाबूभाई महिदपुरवाला, भाजपा नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन, रिटायर्ड एडीजी पन्नालाल, मप्र की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह, पूर्व कलेक्टर जीपी तिवारी, कलेक्टर निशांत वरवड़े, डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र, एडीएम अजय शर्मा, इंदौर प्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृष्णकुमार अष्ठाना, सतीश जोशी, ओमी खंडेलवाल के साथ ही गणमान्य नागरिक और पत्रकार उपस्थित थे।

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