जीएलपी पर वर्कशॉप का आयोजन

मंगलवार, 26 सितम्बर 2023 (15:26 IST)
मेडी-कैप्स यूनिवर्सिटी, इंदौर के डिपार्टमेंट ऑफ फोरेंसिक साइन्स मे 'इंपेक्ट ऑफ जीएलपी इन एक्सामिनेशन ऑफ फोरेंसिक एक्सहिबिट्स' पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसे राष्ट्रीय स्तर के साइबर अपराध व फोरेंसिक एक्सपर्ट प्रो. गौरव रावल ने संबोधित किया। वर्कशॉप में 70 से ज्यादा विद्यार्थी उपस्थित थे।
 
प्रो. रावल ने बताया जीएलपी (GLP) जिसे हम गुड लेबॉरेटरी प्रेक्टिसेस के नाम से जानते हैं। इसे सर्वप्रथम 1972 में पहले न्यूजीलैंड में अप्लाई किया गया। जीएलपी में हम लेबोरेटरी में किए गए शोधों का प्लानिंग, उनकी रिपोर्टिंग, मॉनिटरिंग तथा किए गए परीक्षणों का परफॉर्मेंस निकालने के लिए एक फ्रेमवर्क का उपयोग करते हैं, जिसके द्वारा हमारे किए गए परीक्षण लैबोरेट्री टेस्ट मॉनिटर होते हैं इससे फोरेंसिक टेस्ट एनालिसिस, परफॉर्मेंस और रिपोर्टिंग कार्य उत्तम होता है।
 
गौरव रावल ने विद्यार्थियों को बताया की सन 1970 के दशक में अमेरिका में अपनी जांच में पाया कि फोरेंसिक लेबोरेटरी टेस्ट प्रैक्टिस बड़े कमजोर ढंग से की जा रही है। इसे दूर करने के लिए 1978 में अमेरिका में भी गुड लैबोरेट्री प्रैक्टिसेस यानी जीएलपी (GLP) को अपनाया गया। 
 
उन्होने जीएलपी के 10 सिद्धांत है जैसे: 1. लैबोरेट्री और उपकरणों की स्थिति, 2. कार्यरत कर्मचारियों के लिए दक्षता 3. क्वालिटी एश्योरेंस प्रोग्राम (QAP) 4. लेबोरेटरी में अवेलेबल सुविधाएं  5. जांच टेस्ट सिस्टम 6. जांच किए पदार्थों का रिफरेंस 7. परीक्षणों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (SOP) 8. टेस्ट परफॉर्मेंस स्टडी व परीक्षण परिणाम रिपोर्टिंग 9. जांच लेबोरेटरी लोकेशन अरेंजमेंट 10. साक्ष्यों को रखने का वातावरण तथा केमिकल पदार्थो को स्टोर करने की व्यवस्थाओ के बारे में विस्तार से बताया। 
 
प्रो. गौरव रावल ने फोरेंसिक के विद्यार्थियों को समझाया कि अच्छी लेबोरेटरी में क्या क्या गुण होना चाहिए। वहां पर धुआं निकलने के लिए जगह होना चाहिए कोई स्मेल या दुर्गंध वहां नहीं आनी चाहिए। यह भी ध्यान रखा जाए की जिस भी उपकरणों के लिए या पदार्थों के लिए एयर कंडीशन की जरूरत है वह उपलब्ध हो, परीक्षणों के लिए जिन उपकरणों की जरूरत रहती है उनको यह पर्याप्त स्थान तथा सेफ्टी के लिए वहां उपकरणों का समायोजन हो।
 
उन्होंने समझाया कि सैंपल कलेक्ट करने और उनको सुरक्षित संरक्षित रखने उपकरणों का अरेंजमेंट भी व्यवस्थित रूप से हो। इसके साथ ही लेबोरेटरी में हर वस्तु के लिए स्थान और हर वस्तु अपने स्थान पर हो इस सुनिश्चित किया जाना चाहिए। फॉरेंसिक परीक्षणों के लिए जो भी केमिकल उपयोग किया जा रहे हैं, उन्हें पहले आओ पहले जाओ (FIFO) के आधार पर उपयोग किया जाना।
 
अंत में प्रोफेसर रावल ने बताया कि जीएलपी (GLP) प्रयोगशाला में प्रयुक्त किए गए उपकरणों का मेंटेनेंस व रखरखाव, वातावरण, संरक्षण तथा किए गए परीक्षणों के रिकॉर्ड को सुरक्षित रूप से रखने का समायोजन करने के लिए नियंत्रण व गाइडलाइन उपलब्ध कराता है।
 
फॉरेंसिक साइंस विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला आईनर्चर एजुकेशन सॉल्यूशंस के मेंटर, संयोजक प्रो. संदीप कुमार मथारिया और कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रो. महावीर जैन उपस्थित थे।

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