4. जब भारत परतंत्रता को झेल रहा था, सामाजिक स्तर पर पिछड़नेपन और लड़कियों को अभिशाप माना जाता था। ऐसे समाज में अपने अस्तित्व की चुनौती से लड़ते हुए स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी महती भूमिका निभाने की प्रबल इच्छा और देश की स्वतंत्रता को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लेने वाली, दृढ़ विचारों वाली महिला भीकाजी कामा ने अगस्त 1907 को जर्मनी में आयोजित सभा में देश का झंडा फहराया था, जिसे उनके कुछ साथियों ने मिलकर तैयार किया था, यह झंडा आज के तिरंगे से थोड़ा भिन्न था।