Lal Bahadur Shastri : लाल बहादुर शास्त्री की सादगी के अनसुने किस्से

देश के दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्त्री जी ने भारत की आजादी में अहम योगदान दिया। स्वाधीनता आंदोलन में कई बार जेल की सजा भुगत चुके शास्त्री जी ने नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका पूरा जीवन देश की सेवा में बीता। सादगी, शालीनता, और ईमानदार व्यक्तित्व के धनी शास्त्री जी ने देश की सुरक्षा और संप्रभुता से कभी भी समझौता नहीं किया। जब पाक ने भारत पर आक्रमण किया तो शांत स्वभाव के शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया। देश को आत्मनिर्भर बनाने और हरित क्रांति लाने में उनका बेहद अहम योगदान रहा। 11 जनवरी 1966 को भारत के तत्काल दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्त्री जी ने अंतिम सांस ली थी। आइए जानते हैं उनके जीवन के किस्से -

जब सायरन की गाड़ी के लिए किया इनकार

यह उस वक्त का किस्सा है जब लाल बहादुर शास्त्री देश के गृहमंत्री थे। और वे किसी त्वरित कार्य से कलकत्ता में थे। उन्‍हें समय से दिल्ली पहुंचना था। लेकिन रोड पर शाम के वक्त इतना रश था कि वह टाइम से एयरपोर्ट नहीं पहुंच पाते। इसके लिए पुलिस कमिश्नर ने उनसे कहा कि वह उनके काफिले के आगे सायरन लगी एक कार भेज रहे हैं ताकि जल्‍द से जल्‍द एयरपोर्ट पहुंच सकें। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। शास्‍त्री जी ने ये कहकर मना कर दिया था कि वे कोई बड़े आदमी नहीं है।

खुद को कहते थे तीसरे श्रेणी के व्यक्ति

शास्त्री उस वक्त देश के प्रधानमंत्री थे। उन्‍हें किसी राज्य का दौरा करना था। लेकिन जरूरी काम होने की वजह से उन्‍हें कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। जब उस राज्य के सीएम को यह जानकारी मिली तो उन्‍होंने शास्त्री जी से ऐसा नहीं करने के लिए कहा। और अनुरोध करते हुए कहा कि आपके लिए प्रथम श्रेणी की व्यवस्था की गई है। इस पर उन्‍होंने जवाब दिया कि तीसरी श्रेणी के व्यक्ति के लिए प्रथम श्रेणी की व्यवस्था क्यों करते हैं। 

परिवार से शुरू किया एक वक्त का भोजन

जी हां, यह घटना है 1965 की जब देश पाकिस्तान से लड़ाई लड़ रहा था उस दौरान देश खाद्य संकट से भी जूझ रहा था। उस वक्त भारत, अमेरिका पर निर्भर था। लेकिन अमेरिका पाकिस्तान का साथ दे रहा था। और भारत को बार-बार खाद्य सामग्री नहीं भेजने की धमकी दे रहा था। तब इस मुसीबत से निपटने के लिए शास्त्री जी ने अपने परिवार से खाना बचाने की मुहिम शुरू की।

जी हां, परिवार में सभी से सिर्फ एक वक्त सुबह खाना खाने के लिए कहा। वहीं बच्‍चों को शाम को सिर्फ एक  फल और एक गिलास दूध के लिए कहा। इसके बाद देश की जनता से सप्ताह में एक बार एक वक्त का खाना छोड़ने की अपील की। इस दौरान रेस्त्रां और होटलों में भी सख्ती से पालन किया गया।

ALSO READ: लाल बहादुर शास्‍त्री - ताशकंद में शास्त्री और वो काली रात

ALSO READ: जहर की साजिश, हार्ट अटैक या ‘हत्‍या’, आखि‍र कितनी थ्‍योरी हैं लाल बहादुर शास्‍त्री की ‘मौत’ की !

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी