आलोइस अल्त्सहाइमर एक न्यूरॉलॉजिस्ट, यानी तंत्रिका तंत्र के विशेषज्ञ थे। 1901 से उस समय 51 वर्ष की एक महिला मरीज़, आगुस्ते डेटर का इलाज़ कर रहे थे। वह महिला बेहद भुलक्कड़ और चिड़चिड़ी थी, अपना नाम तक याद नहीं रख पाती थी। 1906 में उस महिला की मृत्यु हो गई। उसके मस्तिष्क में हुए परिवर्तनों की डॉ. अल्त्सहाइमर द्वारा वर्णित जानकारी भावी शोधकार्यों का आधार बनी। उनका कुलनाम ही इस बीमारी का भी नाम बन गया, हालांकि जर्मन भाषा के उच्चारण नियमों से अपरिचित होने के कारण भारत में उन्हें और उनके नाम वाली बीमारी को 'अल्जाइमर' कहा जाता है, जो सही नहीं है। जर्मन भाषा में 'Z' सदा त्स और 'hei' हाइ होता है।