-वेबदुनिया डेस्क
अफगानिस्तान बन सकता है दूसरा सीरिया, इस आशंका के प्रबल होने का सबसे बड़ा कारण है कि अफगानिस्तान के 65 फीसदी इलाके पर अब तालिबान का कब्जा हो गया है। अमेरिकी फौज की वापसी के साथ ही तेजी से हमले करते हुए तालिबान ने मात्र 5 दिन के अंदर अफगानिस्तान की 8 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। इसमें निमरूज प्रांत की राजधानी जारंज भी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि यहां पर हाईवे के निमार्ण में भारत ने करोड़ों डॉलर खर्च करके भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के रास्ते जारंज शहर होते हुए मध्य एशिया के तेल और गैस समृद्ध देशों ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान से जुड़ने का सपना देखा था। जारंज शहर अफगानिस्तान में भारत के लिए प्रवेश द्वार था। भारत ने ईरान से अफगानिस्तान के जारंज शहर तक के लिए करोड़ों रुपए खर्च के बेहतरीन हाईवे बनाया था।
बताया जा रहा है कि तालिबान को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का पूरा सहयोग मिल रहा है और आईएसआई की बताई रणनीति पर चलते हुए तालिबान ने पहले ग्रामीण इलाकों पर कब्जा कर लिया। ग्रामीण इलाकों पर कब्जा करने से तालिबान का सभी सीमाई चेकपोस्ट पर नियंत्रण है। ईरान, पाकिस्तान और ताजिकिस्तान से लगी अधिकांश सीमा चौकियों पर तालिबान का कब्जा हो गया है। इससे सीमा व्यापार पर अब तालिबान काबिज है और उन्हें अच्छी-खासी आय भी होने लगी है।
इसके बाद अब वे शहरों पर कब्जा करने लगे हैं। तालिबान ने मजार-ए-शरीफ पर भी हमला कर दिया है और उनके लड़ाके शहर पर बम बरसा रहे हैं और उनका अगला लक्ष्य देश की राजधानी काबुल है। अफगानिस्तान के खराब होते हालात के बाद भारत को अफगानिस्तान में सक्रिय एकमात्र महावाणिज्य दूतावास मजार-ए-शरीफ से भी अपने स्टाफ को निकालना पड़ा है। अफगान क्रिकेटर राशिद खान समेत कई अंतराष्ट्रीय हस्तियों ने अफगानिस्तान में हो रहे खून-खराबे पर चिंता जताई है और दुनिया से हस्तक्षेप की मांग की है।
अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने संसद में बिगड़ते हालात के लिए अमेरिकी सैनिकों की वापसी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि काबुल के पास युद्ध के मैदान में स्थिति को बदलने के लिए अमेरिका के पास 6 महीने की सुरक्षा योजना थी। इस बीच उन्होंने वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को कहा कि पिछले कुछ दिनों में कई शहर तालिबान के कब्जे में आ गए हैं।