ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते कनाडा की अंतिम साबुत बची हिम चट्टान भी टूट गई

शनिवार, 8 अगस्त 2020 (11:35 IST)
टोरंटो। कनाडा में साबुत बची अंतिम हिम चट्टान (आइस शेल्फ) का ज्यादातर हिस्सा गर्म मौसम और वैश्विक तापमान बढ़ने के चलते टूटकर विशाल हिम शैल द्वीपों में बिखर गया है। हिम चट्टानें बर्फ का एक तैरता हुआ तख्ता होती हैं, जो किसी ग्लेशियर या हिम चादर के जमीन से समुद्र की सतह पर बह जाने से बनता है।
 
वैज्ञानिकों के मुताबिक एलेसमेरे द्वीप के उत्तर-पश्चिम कोने पर मौजूद कनाडा की 4,000 वर्ष पुरानी मिली हिम चट्टान जुलाई अंत तक देश की अंतिम अखंडित हिम चट्टान थी, जब कनाडाई हिम सेवा की बर्फ विश्लेषक एड्रीन व्हाइट ने गौर किया कि उपग्रह से ली गईं तस्वीरों में दिखा कि इसका 43 प्रतिशत हिस्सा टूट गया है। उन्होंने कहा कि यह 30 जुलाई या 31 जुलाई के आस-पास हुआ।
 
व्हाइट ने कहा कि इसके टूटने से 2 विशाल हिम शैल (आइसबर्ग) के साथ ही छोटी-छोटी कई हिम शिलाएं बन गई हैं और इन सबका पहले से ही पानी में तैरना शुरू हो गया है। सबसे बड़ा हिम शैल करीब-करीब मैनहट्टन के आकार का यानी 55 वर्ग किलोमीटर है और यह 11.5 किलोमीटर लंबा है। इनकी मोटाई 230 से 260 फुट है। उन्होंने कहा कि यह बर्फ का विशाल व बहुत विशाल टुकड़ा है।
 
उन्होंने कहा कि अगर इनमें से कोई भी तेल रिग (तेल निकालने वाला विशेष उपकरण) की तरफ बढ़ने लगे तो आप इसे हटाने के लिए कुछ नहीं कर सकते और आपको तेल रिग को ही हटाकर दूसरी जगह ले जाना होगा। 187 वर्ग किलोमीटर में फैली यह हिम चट्टान कोलंबिया जिले के आकार से ज्यादा बड़ी होती थी लेकिन अब यह महज 41 प्रतिशत यानी 106 वर्ग किलोमीटर ही शेष रह गई है।

ओटावा यूनिवर्सिटी के ग्लेशियर विज्ञान के प्राध्यापक ल्यूक कोपलैंड ने कहा कि क्षेत्र में मई से अगस्त की शुरुआत तक तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है जो 1980 से 2010 के औसत से ज्यादा गर्म है। यहां तापमान आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ रहे तापमान से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है जो पहले ही विश्व के अन्य हिस्सों के मुकाबले ज्यादा तापक्रम वृद्धि का सामना कर रहा है। (भाषा) (सांकेतिक चित्र)
 

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