बीजिंग। चीन के रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भारत के साथ सीमा के मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का पूरी तरह विरोध करता है और उम्मीद करता है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास सैन्य अभ्यास नहीं करने के द्विपक्षीय समझौतों का पालन करेगा।
चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल तान केफेई ने हिमालय की दक्षिणी तलहटी में हाल में अमेरिका और भारत के विशेष बलों के संयुक्त अभ्यास करने और युद्धाभ्यास कूट नाम वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास की उनकी योजना की खबरों के संबंध में पूछे गए सवाल पर यह टिप्पणी की।
तान ने कहा कि हम चीन-भारत सीमा मुद्दे पर किसी भी तरह किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का पुरजोर विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि संबंधित देशों के, विशेष रूप से सैन्य अभ्यासों और प्रशिक्षण गतिविधियों पर सैन्य सहयोग में किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करनी चाहिए।
सीमा मुद्दा दोनों देशों का मसला : उन्होंने कहा कि चीन-भारत का सीमा मुद्दा दोनों देशों के बीच का मसला है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सभी स्तर पर प्रभावी संवाद कायम रखा है और द्विपक्षीय संवाद के माध्यम से हालात से सही से निपटने पर सहमत हुए हैं।
तान ने चीन के रक्षा मंत्रालय के हवाले से कहा कि चीन और भारत द्वारा 1993 तथा 1996 में किए गए संबंधित समझौतों की रोशनी में किसी भी पक्ष को एलएसी के पास के क्षेत्रों में दूसरे के खिलाफ सैन्य अभ्यास करने की अनुमति नहीं है।
द्विपक्षीय समझौतों की दुहाई : चीन ने कहा कि उम्मीद की जाती है कि भारतीय पक्ष दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई महत्वपूर्ण आम-सहमति का और संबंधित समझौतों का कड़ाई से पालन करेगा, द्विपक्षीय माध्यमों से सीमा मुद्दों के समाधान की अपनी प्रतिबद्धता कायम रखेगा और व्यावहारिक कार्रवाइयों के साथ सीमा क्षेत्र में शांति और अमन-चैन बनाकर रखेगा।
चीन के रक्षा मंत्रालय का 1993 और 1996 के समझौतों का संदर्भ देना इस मायने में रोचक है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी के विवादित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को पहुंचाने की कोशिश से दोनों के बीच बड़ा सैन्य गतिरोध पैदा हो गया था जो अब तक जारी है। भारत ने कहा है कि पीएलए की कार्रवाइयां द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन हैं।
दोनों पक्षों ने श्रृंखलाबद्ध सैन्य और राजनयिक वार्ताओं के परिणामस्वरूप पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटीय क्षेत्रों तथा गोगरा इलाके से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी। अभी तक दोनों पक्षों ने गतिरोध के समाधान के लिए 16 दौर की कमांडर स्तर की वार्ता की है।
चीन ने की समझौतों की अवहेलना : भारत लगातार कहता रहा है कि एलएसी पर शांति और अमन-चैन द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। लातिन अमेरिका देशों की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि चीन ने भारत के साथ सीमा संबंधी समझौतों की अवहेलना की है और इससे द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्थायी संबंध एकतरफा नहीं हो सकते हैं और इसमें परस्पर सम्मान होना चाहिए।
जयशंकर ने शनिवार को ब्राजील के साओ पाउलो में कहा कि उन्होंने (चीन ने) इसकी अवहेलना की है। कुछ साल पहले गलवान घाटी में क्या हुआ था, आप जानते हैं। उस समस्या का समाधान नहीं हुआ है और यह स्पष्ट रूप से प्रभाव डाल रहा है।
14 से 31 अक्टूबर तक चलेगा सैन्याभ्यास : भारत और अमेरिका तेजी से बदल रहे क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के बीच अक्टूबर में उत्तराखंड के औली में दो सप्ताह से अधिक अवधि का बड़ा सैन्याभ्यास शुरू करेंगे। रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि युद्ध अभ्यास का 18वां संस्करण 14 से 31 अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि गत वर्ष अमेरिका के अलास्का में इसका पिछला संस्करण संपन्न हुआ था। (भाषा)