खबरों के मुताबिक भारत के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए नेपाल, बीजिंग से अपनी नजदीकी बढ़ा रहा है। अभी नेपाल आवश्यक वस्तुओं और ईंधन के लिए काफी हद तक भारत पर निर्भर है। दूसरे देशों में व्यापार करने के लिए नेपाल, भारत के बंदरगाहों का प्रयोग भी करता है। लेकिन अब जिस तरह से व्यापारिक गतिविधियों को लेकर नेपाल चीन के करीब जा रहा है, उससे भारत से उसके संबंधों में खटास आने की आशंका जाहिर की जा रही है।
नेपाल ने ईंधन की आपूर्ति को पूरा करने के लिए भारत पर अपनी निर्भरता कर करने के लिहाज से चीन से उसके बंदरगाहों के प्रयोग की इजाजत मांगी थी। नेपाल और चीन के अधिकारियों ने काठमांडू में शुक्रवार को हुई बैठक में प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया। अब नेपाल चीन के शेनजेन, लियानयुगांग, झाजियांग और तियानजिन बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकेगा। इन सभी में से तियानजिन बंदरगाह नेपाल की सीमा से सबसे नजदीकी बंदरगाह है, जो करीब 3,000 किमी दूर है। (एजेंसियां)